क्या प्रशांत किशोर ने हार के बाद 'मौन' व्रत रखा?
सारांश
Key Takeaways
- प्रशांत किशोर ने हार स्वीकार किया और मौन व्रत रखा।
- जन सुराज पार्टी ने 238 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी नहीं जीत पाई।
- उन्होंने बिहार की नई सरकार को चेतावनी दी है।
- मौन व्रत के बाद, वे बिहार के विकास के लिए नई योजनाओं पर काम करेंगे।
- यह घटना बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है।
पश्चिमी चंपारण, 21 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव में जन सुराज पार्टी को पराजय का सामना करना पड़ा। नतीजों के लगभग एक हफ्ते बाद, पार्टी के संयोजक प्रशांत किशोर ने एक दिवसीय 'मौन' व्रत रखा और हार पर आत्मचिंतन किया।
प्रशांत किशोर ने गुरुवार को पश्चिम चंपारण के भितिहरवा गांधी आश्रम में एक दिन का प्रायश्चित मौन व्रत शुरू किया। उन्होंने पहले महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया और फिर निर्धारित स्थान पर बैठकर मौन व्रत की शुरुआत की। उनका यह मौन व्रत शुक्रवार सुबह 11 बजे तक जारी रहा।
इस दौरान, जन सुराज पार्टी के नेता मनीष कश्यप ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर भितिहरवा आश्रम से एक बार फिर नई शुरुआत कर रहे हैं। तीन साल पहले हमने भितिहरवा आश्रम से शुरुआत की थी। हम बिहार को बदलने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और पलायन जैसे विषयों पर काम कर रहे थे। ये प्रमुख मुद्दे थे, लेकिन हमें उतनी सफलता नहीं मिली जितनी हमें मिलनी चाहिए थी। इसीलिए हम अब यहां हैं।"
मनीष कश्यप ने आगे कहा, "प्रशांत किशोर यहां एक दिन का मौन व्रत रख रहे हैं और इसके खत्म होने के बाद हम एक बार फिर बिहार के लोगों को जगाने और राज्य को बदलने की दिशा में काम करेंगे।"
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी शून्य पर सिमट गई। पार्टी 238 सीटों पर मैदान में थी, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाई।
नतीजों के बाद, प्रशांत किशोर ने हार को स्वीकार किया। इसके साथ ही उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "तीन साल में जितनी मेहनत करते हुए बिहार की जनता ने देखा है, उससे doubles ताकत से मेहनत करते हुए आप मुझे अगले पांच साल देखेंगे। हार तब होती है, जब आप प्रयास छोड़ देते हैं।"
बिहार की नई सरकार को चेतावनी देते हुए प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि चुनाव के समय बिहार की डेढ़ करोड़ महिलाओं को यह कहते हुए 10 हजार रुपए दिया गया था कि उन्हें एनडीए की सरकार बनने के बाद स्वरोजगार के लिए 2 लाख रुपए मिलेंगे। यदि छह महीने के अंदर यह वादा पूरा नहीं हुआ, तो इन परिवारों के हक की लड़ाई जन सुराज लड़ेगा।