क्या प्रोजेक्ट विजयक करगिल में सेना की गति को बढ़ा रहा है?

सारांश
Key Takeaways
- 1,200 करोड़ रुपए की परियोजना लद्दाख और करगिल में बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ कर रही है।
- सशस्त्र बलों की परिचालन तैयारियों को मजबूत करने में मदद कर रही है।
- स्थानीय समुदायों के लिए नए अवसर उत्पन्न कर रही है।
- परियोजना ने सुरक्षा और कल्याण पर ध्यान केंद्रित किया है।
- भविष्य में नई तकनीकों का समावेश होगा।
नई दिल्ली, 21 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। लद्दाख और करगिल जैसे कठिन भू-भाग में सेना की गतिविधियों और आवाजाही को सहज बनाने वाला प्रोजेक्ट विजयक आज 21 सितंबर को अपने 16वें वर्ष में प्रवेश कर गया। इस परियोजना के तहत सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने लद्दाख और करगिल में 1,200 करोड़ रुपए से अधिक की बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं का निर्माण किया है। जम्मू-कश्मीर का यह क्षेत्र विश्व के सबसे चुनौतीपूर्ण स्थानों में से एक है। प्रोजेक्ट विजयक यहाँ पर सेवा, धैर्य और इंजीनियरिंग की उत्कृष्टता की अद्भुत कहानी को उजागर करता है।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, पिछले 15 वर्षों में परियोजना विजयक ने लद्दाख में 1,400 किलोमीटर से अधिक सड़कों और 80 से अधिक प्रमुख पुलों का निर्माण और रखरखाव किया है। इसकी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है कि अप्रैल 2025 में सर्दियों के बंद होने के बाद केवल 31 दिनों में रणनीतिक जोजिला दर्रे को फिर से खोला गया। जोजिला दर्रा उच्च हिमालयी क्षेत्र में संपर्क के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है।
2010 में शुरू की गई परियोजना विजयक का उद्देश्य सशस्त्र बलों की परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करना और लद्दाख की दूरदराज घाटियों और अग्रिम क्षेत्रों को राष्ट्रीय मुख्यधारा से जोड़ना है। इस परियोजना के सफल कार्यान्वयन ने न केवल सेना की परिचालन तैयारियों को मजबूती प्रदान की है, बल्कि लद्दाखवासियों के लिए कनेक्टिविटी, सेवाओं और जीविका के नए अवसर भी उत्पन्न किए हैं।
रविवार को इस परियोजना का 15वां स्थापना दिवस समारोह मनाया गया, जिसमें परंपरा और गौरव का भव्य समागम देखने को मिला। इस अवसर पर सैनिक सम्मेलन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रार्थनाएँ और शहीद नायकों की स्मृति में विजयक स्मारक का उद्घाटन किया गया।
द्रास युद्ध स्मारक तक एक बाइक रैली का आयोजन किया गया। लद्दाखी संस्कृति पर आधारित चित्रकला प्रतियोगिताओं और बड़ाखाना जैसे सामुदायिक कार्यक्रमों ने सैनिकों, उनके परिवारों और स्थानीय नागरिकों को एकता और उत्साह की भावना से जोड़ा। परियोजना विजयक ने अपने आकस्मिक वेतनभोगी श्रमिकों के कल्याण पर विशेष ध्यान दिया है, जिन्हें इसके संचालन का मुख्य स्तंभ माना जाता है। उनकी सुरक्षा और जीवन स्तर को सुधारने के लिए पृथक आवासीय आश्रय, बेहतर स्वच्छता सुविधाएँ, उन्नत सुरक्षात्मक उपकरण, सर्दियों के कपड़े और नियमित स्वास्थ्य शिविर जैसी कई कल्याणकारी पहलों को सफलतापूर्वक लागू किया गया है।
भविष्य की दृष्टि से, 1,200 करोड़ रुपए की इस महत्वाकांक्षी योजना में प्रमुख सड़कों का चौड़ीकरण, नई सुरंगों और पुलों का निर्माण, भू-वस्त्र, उन्नत सतह, ढलान स्थिरीकरण, डिजिटल निगरानी और पर्यावरण-अनुकूल निर्माण पद्धतियों जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का समावेश किया गया है। ये प्रयास लद्दाख के ऊँचाई वाले सीमावर्ती क्षेत्रों में लचीलापन, स्थायित्व और निर्बाध कनेक्टिविटी को और बढ़ाएंगे।
रक्षा मंत्रालय का मानना है कि परियोजना विजयक अपने 16वें वर्ष में प्रवेश करते हुए सेवा और गौरव का प्रतीक बनकर उभरी है। यह न केवल सशस्त्र बलों और स्थानीय आबादी के लिए जीवनरेखा का कार्य कर रही है, बल्कि देश के सबसे कठिन क्षेत्रों में कनेक्टिविटी स्थापित करने के बीआरओ के आदर्श वाक्य को भी साकार कर रही है।