क्या राहुल गांधी भारत में रहते हैं और पाकिस्तान की बातें सुनाते हैं? : गौरव वल्लभ

सारांश
Key Takeaways
- गौरव वल्लभ ने राहुल गांधी पर पाकिस्तान प्रेम का आरोप लगाया।
- भारतीय सेना के बयान पर राहुल गांधी का विश्वास नहीं।
- महाविकास अघाड़ी के सहयोग में दरार दिखाई दे रही है।
- राहुल गांधी की राजनीति पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
- गठबंधन के भविष्य पर अनिश्चितता।
नई दिल्ली, 20 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा के वरिष्ठ नेता गौरव वल्लभ ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह भारत में रहते हैं, लेकिन हमेशा पाकिस्तान की चर्चा करते हैं।
रविवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के पश्चात कहा था कि हमें जो प्राप्त करना था, वह हमने कर लिया है। विदेश मंत्री भी इस बात को दोहराते हैं। लेकिन, राहुल गांधी को भारतीय सेना पर विश्वास नहीं है। वह हमेशा सेना के पराक्रम पर प्रश्न उठाते हैं।
भाजपा नेता ने कहा कि उनके बयानों में पाकिस्तान प्रेम देखने को मिलता है। वह दिल्ली में रहते हैं, लेकिन पाकिस्तान से जो सुनते हैं, उसके आधार पर बोलते हैं। भारतीय सेना के बयान पर विश्वास नहीं है। विदेश मंत्रालय के बयान पर विश्वास नहीं है। उनका विश्वास सिर्फ पाकिस्तान में है।
उन्होंने राहुल गांधी को सलाह देते हुए कहा कि भारत विरोधी गतिविधियां तुरंत समाप्त कर दें।
शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे द्वारा महाविकास अघाड़ी को लेकर दिए गए बयान पर भाजपा नेता गौरव वल्लभ ने कहा कि धीरे-धीरे इस गठबंधन से सभी अलग हो जाएंगे। अगला नंबर उद्धव ठाकरे का है। उन्होंने कहा कि जब राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे साथ आए, तब कयास लगाए गए कि गठबंधन टूट जाएगा। अब तो उद्धव ठाकरे ने भी कहा है कि यदि राहुल गांधी के साथ गठबंधन नहीं होता, तो वह दो से तीन सीट और जीत सकते थे। राहुल गांधी को इस पर उत्तर देना चाहिए।
भाजपा नेता ने दावा किया है कि इंडी अलायंस समाप्त हो चुका है। उन्होंने राहुल गांधी के उस बयान को ढोंग करार दिया, जिसमें उन्होंने सीपीआई (एम) की तुलना संघ से करते हुए दोनों को अपना वैचारिक प्रतिद्वंदी बताया।
भाजपा नेता ने कहा कि राहुल गांधी सीपीएम के साथ बैठक करते हैं। तो, वह किस तरह की लड़ाई लड़ रहे हैं? क्या वह गठबंधन की बैठक को लड़ाई कहते हैं? राहुल गांधी की वैचारिक लड़ाई किसी से नहीं है। उनकी लड़ाई देश के उन लोगों से है, जो परिवार की राजनीति पर प्रश्न उठाते हैं और कहते हैं कि यह समाप्त होनी चाहिए, राहुल गांधी उनके खिलाफ हैं। राहुल गांधी की कुर्सी से दोस्ती है। लेकिन, जनता उन्हें कुर्सी नहीं देगी।