क्या अल-फलाह यूनिवर्सिटी और आजम खान पर कार्रवाई दुर्भाग्यपूर्ण है? : रुचि वीरा

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क्या अल-फलाह यूनिवर्सिटी और आजम खान पर कार्रवाई दुर्भाग्यपूर्ण है? : रुचि वीरा

सारांश

रुचि वीरा ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी और आजम खान पर की गई कार्रवाई को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए सरकारों की जिम्मेदारियों पर प्रकाश डाला है। उन्होंने मजहब के नाम पर लोगों को टारगेट करने की निंदा की है। इस मुद्दे पर उनकी गहरी चिंता सभी के लिए महत्वपूर्ण है।

Key Takeaways

  • सरकारों का कार्य लोगों को सहूलियत देना है।
  • मजहब के नाम पर लोगों को टारगेट करना गलत है।
  • निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है।
  • आजम खान के मामले में दुर्भाग्य की बात है।
  • राजनीतिक लोगों को विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

मुरादाबाद, 23 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी (सपा) की सांसद रुचि वीरा ने मौलाना अरशद मदनी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकारों का प्राथमिक कार्य लोगों को सहूलियत प्रदान करना है। उन्हें अस्पताल, सड़क और स्कूल बनाने चाहिए। लेकिन, मजहब के नाम पर लोगों को टारगेट किया जा रहा है।

अल-फलाह यूनिवर्सिटी और आजम खान पर की गई कार्रवाई को उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने यह भी कहा कि यह कार्रवाई बदले की भावना से की जा रही है और किसी एक मजहब के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। आजम खान के साथ जो हुआ है, वह किसी अन्य के साथ नहीं होना चाहिए। भगवान करे, ऐसा किसी के साथ न हो।

एसआईआर के संदर्भ में उन्होंने कहा कि हमें सदन के अंदर और बाहर इसका विरोध करना पड़ा है। महागठबंधन ने भी इसका विरोध किया है। चुनाव आयोग को पक्षपात नहीं करना चाहिए। सभी का वोटर कार्ड बनना चाहिए और नागरिकों को उनका हक मिलना चाहिए। जहां लोगों को हिरासत में लेने की बातें हो रही हैं, यह लोगों में खौफ पैदा करने के लिए हो रहा है। जिस तरह सरकारी एजेंसी का इस्तेमाल अपने उद्देश्य के लिए किया जा रहा है, वह उचित नहीं है। संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद बनाने के टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर के बयान पर रुचि वीरा ने कहा कि राजनीतिक लोगों को विकास की बात करनी चाहिए, जैसे सड़क, अस्पताल, पुल या एयरपोर्टमंदिर और मस्जिद बनाना धर्मगुरुओं का काम है।

अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े डॉक्टरों के आतंकी कनेक्शन पर उन्होंने कहा कि दोषी तो दोषी होता है, चाहे वह किसी भी समाज का हो या किसी भी पद का, लेकिन जांच निष्पक्ष होनी चाहिए। आज के समय में जिस तरह से जांच हो रही है, उस पर भी संदेह है।

झारखंड सरकार के मंत्री इरफान अंसारी के बयान पर उन्होंने कहा कि जिस तरह एसआईआर की प्रक्रिया बिहार में हुई है, वास्तव में चुनाव का बहिष्कार करना चाहिए। आजम खान को फिर से जेल भेजना दुर्भाग्यपूर्ण है।

Point of View

वे सरकारों से अपेक्षा करती हैं कि वे लोगों को सहूलियत प्रदान करें न कि धार्मिक विवाद में उलझें। किसी भी कार्रवाई को निष्पक्षता से देखना आवश्यक है। इस मुद्दे पर निष्पक्ष और संतुलित दृष्टिकोण रखना आवश्यक है।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

अल-फलाह यूनिवर्सिटी और आजम खान पर कार्रवाई क्यों हुई?
यह कार्रवाई विभिन्न आरोपों और जांच के आधार पर की गई है, जिसमें आतंकवादी कनेक्शन शामिल हैं।
रुचि वीरा ने इस मामले में क्या कहा?
उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताने के साथ-साथ सरकार की जिम्मेदारियों की ओर ध्यान दिलाया।
क्या यह कार्रवाई धार्मिक आधार पर की गई है?
रुचि वीरा के अनुसार, यह कार्रवाई बदले की भावना से की गई प्रतीत होती है।
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