क्या सांसद संजय झा ने बताया कि पीएम मोदी के लिए बिहार कितना महत्वपूर्ण है?
सारांश
Key Takeaways
- बिहार मोदी के लिए विशेष प्राथमिकता है।
- एनडीए की सरकार का भारी बहुमत है।
- कांग्रेस की स्थिति कमजोर हुई है।
- फर्जी मतदाताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है।
- जनता विकास को प्राथमिकता दे रही है।
नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के सांसद संजय झा ने मंगलवार को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता की सूची में बिहार हमेशा से ही शीर्ष पर रहा है। प्रधानमंत्री ने हमेशा बिहार को विशेष वरीयता दी है और कभी भी प्रदेश के हितों से समझौता नहीं किया।
उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का बिहार के प्रति गहरा जुड़ाव रहा है। इन दौरों को केवल बिहार चुनाव से जोड़ना उचित नहीं होगा, बल्कि यह भी सच है कि गैर-चुनावी मौसम में भी उनका बिहार से विशेष संबंध बना रहा। केंद्र सरकार की तरफ से बिहार की जनता के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गई हैं।
इन योजनाओं का उद्देश्य बिहार की जनता को सशक्त बनाना था। आज इसका परिणाम यह है कि भारी बहुमत के साथ बिहार में एनडीए की सरकार बनी है, क्योंकि लोग जानते हैं कि विकास की गति केवल एनडीए ही दे सकता है।
जदयू सांसद ने कहा कि बिहार में मतदाता सूची की प्रक्रिया सफलतापूर्वक संपन्न हुई है। इस दौरान किसी ने भी शिकायत नहीं की कि उनका नाम वोटर लिस्ट में शामिल नहीं है। यदि कोई शिकायत होती, तो हम उस पर ध्यान देते। एसआईआर प्रक्रिया के तहत विशेष रूप से फर्जी मतदाताओं को पहचानकर उन्हें मतदान से वंचित किया गया। उन्होंने सवाल उठाया कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में फर्जी मतदाताओं को कैसे मतदान का अधिकार दिया जा सकता है।
जदयू सांसद संजय झा ने कहा कि एसआईआर को लेकर कांग्रेस का विरोध पूरी तरह से निरर्थक है। लोग कांग्रेस की मंशा से वाकिफ हो चुके हैं। उन्होंने याद दिलाया कि यही कांग्रेस बिहार में मतदाता सूची के विरोध में वोट अधिकार यात्रा भी चला चुकी है, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला।
सांसद संजय झा ने कहा कि वर्तमान में बिहार में कांग्रेस की स्थिति काफी कमजोर हो चुकी है। यह किसी से छुपा नहीं है। बिहार में कांग्रेस की दुर्दशा का अंदाजा इसी से लग सकता है कि उसे विधानसभा चुनाव में केवल छह सीटों पर जीत मिली है। इससे स्पष्ट होता है कि प्रदेश की जनता कांग्रेस को अब स्वीकार करने के मूड में नहीं है।