क्या संविधान में किसी भी प्रकार का बदलाव सहन किया जाएगा? : सुप्रिया सुले

Click to start listening
क्या संविधान में किसी भी प्रकार का बदलाव सहन किया जाएगा? : सुप्रिया सुले

सारांश

सुप्रिया सुले ने संविधान में बदलाव की कोशिशों का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा कि संविधान में हर शब्द का महत्व है और इसे बदलने की कोई कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, यह भारतीय लोकतंत्र की नींव है।

Key Takeaways

  • संविधान का प्रत्येक शब्द महत्वपूर्ण है।
  • किसी भी प्रकार का बदलाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
  • हिंदी भाषा को अनिवार्य करने पर सवाल उठाए गए हैं।
  • शिक्षा और राजनीति का मिश्रण नहीं होना चाहिए।
  • हमारा लोकतंत्र संविधान पर निर्भर है।

मुंबई, 28 जून (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले द्वारा संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द हटाने की मांग पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) की सांसद सुप्रिया सुले ने कड़ा विरोध जताया है।

सुप्रिया सुले ने कहा कि भारतीय संविधान में हर शब्द और प्रावधान को गहन विचार-विमर्श और सभी पक्षों से सलाह-मशविरे के बाद शामिल किया गया है। सरकार संविधान बदलने की बात कर रही है, जिसे हम और हमारी पार्टी कभी बर्दाश्त नहीं करेगी।

उन्होंने कहा, "संविधान में जो कुछ भी लिखा गया है, वह देश के सभी वर्गों, समुदायों और नेताओं की सहमति से तैयार किया गया है। अब यह सरकार संविधान बदलने की बात कर रही है। हम शुरू से कहते रहे हैं कि उनका नारा 'अबकी बार 400 पार, बदलेगा संविधान' था। भाजपा के दो सांसद भी यही बात कह रहे हैं। हम इस देश में किसी को भी संविधान बदलने की इजाजत नहीं देंगे। संविधान भारत की आत्मा है और इसे किसी भी कीमत पर बदला नहीं जा सकता।

सुले ने एक सशक्त लोकतंत्र की बात करते हुए कहा कि सभी को अपनी राय रखने का अधिकार है। आरएसएस को लगता है कि उन्हें यह कहना चाहिए, तो उन्होंने कह दिया। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उनकी बात को लागू कर दिया जाए। संविधान हमारी एकता और अखंडता का प्रतीक है, और इसे बदलने की कोई भी कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी। हमारा देश एक लोकतांत्रिक गणराज्य है, और संविधान इसकी नींव है। इसे कमजोर करने की कोई साजिश कामयाब नहीं होगी।

इसके साथ ही सुप्रिया सुले ने महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को लेकर चल रहे विवाद पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि देश के कई राज्यों जैसे गुजरात, तमिलनाडु, केरल और तेलंगाना में हिंदी को अनिवार्य नहीं किया गया है, फिर महाराष्ट्र में हिंदी क्यों थोपी जा रहा है। जब देश के अन्य राज्यों में हिंदी अनिवार्य नहीं है, तो महाराष्ट्र में इसे अनिवार्य करने की क्या जरूरत है? यह एक गंभीर मुद्दा है, और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। भाषा के नाम पर राजनीति बंद होनी चाहिए।

सुप्रिया सुले ने नई शिक्षा नीति (एनईपी) का जिक्र करते हुए कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य और इतिहास जैसे क्षेत्रों में राजनीति को प्रवेश नहीं करना चाहिए। जो सच है, वही सच है। हमें शिक्षा नीति को लागू करने में पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए।

Point of View

NationPress
04/09/2025

Frequently Asked Questions

क्या संविधान में बदलाव संभव है?
संविधान में बदलाव संभव है, लेकिन इसे सभी पक्षों की सहमति से किया जाना चाहिए।
सुप्रिया सुले ने संविधान के बारे में क्या कहा?
सुप्रिया सुले ने संविधान में बदलाव को बर्दाश्त नहीं करने का स्पष्ट संदेश दिया।
हिंदी भाषा को लेकर क्या विवाद है?
सुप्रिया सुले ने कहा कि अन्य राज्यों में हिंदी अनिवार्य नहीं है, फिर महाराष्ट्र में ऐसा क्यों किया जा रहा है।