क्या उत्तर प्रदेश में 3 विधायकों के निष्कासन से समाजवादी पार्टी की जमीन खिसक गई है?

सारांश
Key Takeaways
- समाजवादी पार्टी ने तीन विधायकों को निष्कासित किया।
- उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक की प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण है।
- राजनीति में परिवारवाद का मुद्दा फिर से उठ रहा है।
- उत्तर प्रदेश ने विकास के मामले में अपनी स्थिति मजबूत की है।
- सपा का यह कदम उनके विकास कार्यों पर सवालिया निशान लगा सकता है।
लखनऊ, 23 जून (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी ने तीन विधायकों के निष्कासन पर भारतीय जनता पार्टी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। सोमवार को, समाजवादी पार्टी ने 'पीडीए विरोधी' विचारधारा का समर्थन करने का आरोप लगाते हुए इन विधायकों को निष्कासित किया। इस पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि समाजवादी पार्टी अब पूरी तरह हाशिए पर है।
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा, "सपा का नेतृत्व तनाव में है और उनकी जमीन खिसक चुकी है। लोगों ने उनकी सरकार के दौरान हुए गुंडई और अराजकता को नहीं भुलाया है। आज उत्तर प्रदेश पूरे देश में नंबर वन बन चुका है। इंफ्रास्ट्रक्चर और कानून व्यवस्था में हम नंबर एक हैं। जनता मानती है कि बीजेपी और योगी आदित्यनाथ की सरकार ने बेहतर काम किया है।"
सपा से निष्कासित विधायक राकेश प्रताप सिंह ने कहा कि वह इस फैसले का स्वागत करते हैं और अब स्वतंत्रता से अपनी बात कह सकते हैं। उन्होंने अखिलेश यादव पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, "एक परिवार के विरोध की विचारधारा थी। मैं पीडीए का विरोधी नहीं हूं। ऐसा कोई वर्ग नहीं है, जिसके दुख-सुख में मेरी भागीदारी नहीं रहती है।"
समाजवादी पार्टी ने गौरीगंज से विधायक राकेश प्रताप सिंह के अलावा गोसाईगंज के विधायक अभय सिंह और ऊंचाहार के विधायक मनोज कुमार पांडेय को भी निष्कासित किया। सपा ने कहा, "समाजवादी सौहार्दपूर्ण विचारधारा के विपरीत साम्प्रदायिक विभाजनकारी नकारात्मकता के कारण इन विधायकों को पार्टी से निष्कासित किया गया।"
सपा ने 'एक्स' पर लिखा, "इन लोगों को हृदय परिवर्तन के लिए दी गई समय-सीमा अब समाप्त हो चुकी है। भविष्य में भी 'जन-विरोधी' लोगों के लिए पार्टी में कोई स्थान नहीं होगा।"