क्या सर्दी-खांसी और जुकाम में तुरंत राहत चाहिए? पिएं ये 5 आयुर्वेदिक काढ़े!

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क्या सर्दी-खांसी और जुकाम में तुरंत राहत चाहिए? पिएं ये 5 आयुर्वेदिक काढ़े!

सारांश

सर्दियों में खांसी और जुकाम से राहत पाने के लिए आयुर्वेदिक काढ़े बेहद प्रभावी होते हैं। ये काढ़े न सिर्फ इम्यूनिटी बढ़ाते हैं, बल्कि शरीर को गर्म भी रखते हैं। जानें 5 असरदार काढ़ों के बारे में जो आपको तुरंत राहत दिला सकते हैं।

Key Takeaways

  • अदरक-तुलसी काढ़ा से इम्यूनिटी बढ़ती है।
  • काली मिर्च-लौंग-दालचीनी काढ़ा कफ को बाहर निकालता है।
  • गिलोय-अदरक काढ़ा संक्रमण को कम करता है।
  • हल्दी-दूध गले की खराश में राहत देता है।
  • मुलेठी-तुलसी काढ़ा जलन को कम करता है।

नई दिल्ली, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सर्दियों के मौसम में खांसी और जुकाम के कारण अक्सर शरीर थका हुआ महसूस करता है और पूरे दिन की एनर्जी खत्म हो जाती है। नाक बहना, गले में खराश और हल्की बुखार जैसी तकलीफें आम होती हैं। ऐसे में आयुर्वेद के काढ़े बहुत काम आते हैं। ये शरीर को अंदर से गर्म रखते हैं, इम्यूनिटी बढ़ाते हैं और वायरस से लड़ने की शक्ति देते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार, सर्दी और खांसी मुख्य रूप से कफ दोष बढ़ने की वजह से होती है। इसलिए गर्म, तीखे और हल्के रूखे गुण वाले काढ़े कफ को घटाते हैं और तुरंत राहत देते हैं। अदरक, दालचीनी, काली मिर्च और तुलसी कफ को संतुलित करते हैं, वहीं गिलोय और हल्दी शरीर की प्रतिरोधक शक्ति को मजबूत बनाते हैं।

पहला असरदार काढ़ा है अदरक-तुलसी का काढ़ा। अदरक शरीर की जकड़न को कम करता है और सूजन घटाता है और तुलसी इम्युनिटी बढ़ाती है। इसके लिए एक इंच अदरक के टुकड़े और 10-12 तुलसी की पत्तियां दो कप पानी में उबालें। स्वाद के लिए शहद डाल सकते हैं। इसे दिन में 1-2 बार पीना काफी है।

दूसरा काढ़ा है काली मिर्च-लौंग-दालचीनी वाला। यह बहुत गर्म तासीर वाला होता है, जो कफ को पिघलाकर बाहर निकालता है। काली मिर्च वायरस की एक्टिविटी घटाती है, लौंग गले के दर्द में राहत देती है और दालचीनी शरीर को गर्म रखती है।

तीसरा है गिलोय-अदरक काढ़ा। गिलोय आयुर्वेद में अमृत माना जाता है और अदरक के साथ लेने से संक्रमण जल्दी घटता है। चौथा है हल्दी-दूध (गोल्डन मिल्क)। हल्दी एंटीवायरल और एंटी-इंफ्लेमेटरी है, दूध शरीर को आराम देता है और गले की खराश में तुरंत राहत देता है।

पांचवां है मुलेठी-तुलसी काढ़ा। मुलेठी गले की जलन मिटाती है और तुलसी प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाती है।

हालांकि ध्यान रखें कि बहुत गर्म तासीर वाले काढ़े ज्यादा मात्रा में न लें। काढ़े दवा का विकल्प नहीं हैं, लेकिन राहत देने और इम्यूनिटी बढ़ाने में बहुत मदद करते हैं।

Point of View

बल्कि शरीर को गर्म भी रखते हैं। यह एक सुरक्षित और प्राकृतिक तरीका है जिससे हम सर्दी-खांसी के लक्षणों से निपट सकते हैं।
NationPress
12/12/2025

Frequently Asked Questions

आयुर्वेदिक काढ़े कब पीने चाहिए?
आयुर्वेदिक काढ़े को दिन में 1-2 बार, विशेष रूप से सुबह और शाम के समय पीना चाहिए।
क्या ये काढ़े बच्चों के लिए भी सुरक्षित हैं?
हाँ, लेकिन बच्चों के लिए मात्रा कम रखनी चाहिए और किसी भी नए काढ़े का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
क्या इन काढ़ों का कोई साइड इफेक्ट है?
जब सही मात्रा में लिया जाए तो ये काढ़े सुरक्षित होते हैं, लेकिन अत्यधिक सेवन से कुछ मामलों में परेशानी हो सकती है।
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