क्या अनुच्छेद-370 हटने के साक्षी रहे सत्यपाल मलिक? कभी कांग्रेसी, कभी भाजपाई, ऐसा रहा उनका सियासी सफर

सारांश
Key Takeaways
- सत्यपाल मलिक का जन्म 25 जुलाई 1946 को हुआ था।
- उन्होंने विभिन्न राजनीतिक दलों में सक्रिय भूमिका निभाई।
- उनका कार्यकाल जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के रूप में बहुत महत्वपूर्ण रहा।
- अनुच्छेद 370 का निलंबन उनके कार्यकाल का एक महत्वपूर्ण निर्णय था।
- उन्होंने कई राज्यों में राज्यपाल के रूप में कार्य किया।
नई दिल्ली, 5 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को निधन हो गया। 79 वर्षीय सत्यपाल मलिक लंबे समय से बीमार थे। उन्होंने दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली। सत्यपाल मलिक ने जम्मू कश्मीर के अलावा बिहार, गोवा और मेघालय जैसे राज्यों में राज्यपाल के रूप में अपनी सेवाएं दीं।
25 जुलाई 1946 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में एक जाट परिवार में सत्यपाल मलिक का जन्म हुआ। उन्होंने मेरठ से अपनी शिक्षा प्राप्त की। राजनीतिक सफर की बात करें तो सत्यपाल मलिक ऐसे राजनेता थे, जिन्होंने समय के अनुसार कांग्रेस, जनता दल और भाजपा का सहारा लिया।
उन्होंने लोहिया की समाजवादी विचारधारा से प्रेरित होकर 1965-66 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा। 1974 में, वह बागपत विधानसभा क्षेत्र से भारतीय क्रांति दल के टिकट पर उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य चुने गए और विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक नियुक्त किए गए।
1980 में 'लोकदल' के सहारे उन्होंने संसद में कदम रखा। वह राज्यसभा सदस्य मनोनीत किए गए थे। हालांकि, 4 साल बाद 'लोकदल' छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया। उन्हें 1986 में कांग्रेस ने राज्यसभा भेजा और उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव की जिम्मेदारी दी। अगले ही साल, 1987 में 'बोफोर्स घोटाले' के कारण उन्होंने राज्यसभा के साथ-साथ कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और अपनी पार्टी 'जन मोर्चा' का गठन किया। हालांकि, 1988 में उन्होंने अपनी पार्टी का जनता दल में विलय कर लिया।
1989 में जनता दल के टिकट पर वह अलीगढ़ से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। फिर, 2004 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर बागपत लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। 2012 में भाजपा ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया। 2017 तक वह राजनीति से दूर हो गए और भाजपा ने उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया। 23 अगस्त 2018 को सत्यपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में शपथ ली। बाद में, वह गोवा चले गए और 18वें राज्यपाल बने। फिर, उन्हें मेघालय का राज्यपाल भी बनाया गया।
अपने राजनीतिक जीवन में वह जम्मू कश्मीर के राज्यपाल बनने के बाद सबसे ज्यादा चर्चा में आए। सत्यपाल मलिक के कार्यकाल में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को समाप्त किया गया और एक पूर्व राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया। संयोग है कि उनके कार्यकाल में ही ठीक 6 साल पहले, 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया था, जो भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण निर्णय माना जाता है।