क्या शाहजहांपुर कारागार में बंदियों ने कांवड़ यात्रा निकाली? ब्रिटिश महिला भी हुई शामिल!

सारांश
Key Takeaways
- कांवड़ यात्रा ने बंदियों के लिए एक आध्यात्मिक अवसर प्रदान किया।
- इस कार्यक्रम में एक ब्रिटिश महिला बंदी भी शामिल हुई।
- बंदियों ने शिवलिंग का जलाभिषेक किया।
- जेल प्रशासन ने धार्मिक आस्था का समर्थन किया।
- ऐसे आयोजन सकारात्मक परिवर्तन में सहायक होते हैं।
शाहजहांपुर, 21 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। श्रावण मास के पवित्र अवसर पर शाहजहांपुर जिला कारागार एक अद्भुत आध्यात्मिक स्थल में परिवर्तित हो गया। सोमवार को यहां बंदियों ने कांवड़ यात्रा का आयोजन किया, शिवलिंग का जलाभिषेक किया और भक्ति भाव से शिव-पूजन किया।
इस आयोजन में एक ब्रिटिश महिला बंदी भी शामिल हुई, जो इस कार्यक्रम की विशेषता रही। जेल प्रशासन के सहयोग से आयोजित इस उत्सव में 220 पुरुष और 21 महिला बंदियों ने उपवास रखा और विधिपूर्वक पूजा-अर्चना में भाग लिया। कुछ बंदियों ने शिव-पार्वती के रूप में श्रृंगार किया, जबकि कई ने अपने हाथों से कांवड़ बनाई।
बंदियों ने राष्ट्रीय ध्वज और 'हर-हर महादेव' के जयघोष के साथ जेल परिसर में कावड़ यात्रा निकाली। अंत में बैरक संख्या 11 स्थित शिव मंदिर में जलाभिषेक किया गया। महिला बंदियों ने भी अपने बैरकों में अलग-अलग कावड़ यात्राएं निकालीं। भजन-कीर्तन के साथ उन्होंने भगवान शिव को गंगाजल अर्पित किया। एक ब्रिटिश महिला बंदी ने भी कांवड़ यात्रा में भाग लिया और जलाभिषेक कर शिव से अपनी बेहतरी की प्रार्थना की।
अपने पति की हत्या के मामले में बंद गायत्री नामक महिला बंदी ने भी शिवभक्ति में भाग लिया। मानसिक असंतुलन के चलते अपराध में लिप्त रही गायत्री अब वाराणसी मानसिक चिकित्सालय में उपचार के बाद सामान्य जीवन जी रही है और जेल में शांतिपूर्वक रह रही है।
वरिष्ठ जेल अधीक्षक मिजाजीलाल के नेतृत्व में जेल प्रशासन ने न केवल आयोजन की व्यवस्था की, बल्कि बंदियों की धार्मिक आस्था को पूरी सहानुभूति के साथ सहयोग भी दिया। मंदिर की सफेदी, सजावट, पूजन सामग्री, कांवड़ निर्माण और पोशाक की पूरी तैयारी पहले से कर ली गई थी। जेल अधिकारियों का मानना है कि ऐसे आयोजन बंदियों के आंतरिक परिवर्तन का माध्यम बनते हैं। भक्ति और अनुशासन के साथ जुड़ाव उन्हें आत्मावलोकन का अवसर देता है, जो भविष्य में समाज में पुनः सम्मानजनक स्थान दिला सकता है।