क्या श्रावण मास की दशमी तिथि पर गण्ड योग को शांत करने के उपाय हैं?

सारांश
Key Takeaways
- दशमी तिथि पर विशेष पूजा का महत्व है।
- गण्ड योग को शांत करने के उपाय करें।
- रविवार को व्रत रखने से लाभ होता है।
- इस दिन विशेष मंत्रों का जाप करें।
- गण्ड योग के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए उपाय करें।
नई दिल्ली, 19 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि रविवार को आ रही है। इस दिन कृतिका नक्षत्र विद्यमान है और साथ ही गण्ड योग का निर्माण भी हो रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह एक अशुभ योग है, जो ग्रहों की विशेष स्थिति या युति के कारण उत्पन्न होता है।
पंचांग के अनुसार, इस दिन अभिजीत मुहूर्त 12 बजे से प्रारंभ होकर 12 बजकर 55 मिनट तक चलेगा और राहुकाल का समय शाम को 5 बजकर 36 मिनट से शुरू होकर 7 बजकर 19 मिनट तक होगा।
गण्ड योग, ज्योतिष में एक अशुभ योग माना जाता है। 'गंड' शब्द का अर्थ है कठिनाई या बाधा। यह योग जन्म कुंडली में ग्रहों की विशेष स्थिति के कारण बनता है और व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की समस्याएं ला सकता है।
यदि किसी जातक की कुंडली में गण्ड योग है, तो इसके नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। भगवान शिव की उपासना के साथ 'ओम नमः शिवाय' का जाप करना सहायक हो सकता है। इसी प्रकार, चंद्रमा के मंत्र 'ओम चंद्राय नमः' का जाप और हनुमान जी की पूजा करने से इस योग से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने में सहायता मिल सकती है।
इस दिन रविवार भी है। यदि किसी की कुंडली में सूर्य कमजोर है, तो वह रविवार के दिन विशेष पूजा और व्रत करके सूर्य देव की कृपा प्राप्त कर सकता है। माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से सुख, समृद्धि, आरोग्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
व्रत प्रारंभ करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें, उसके बाद एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें। फिर व्रत कथा सुनें और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। सूर्य देव के मंत्र 'ओम सूर्याय नमः' या 'ओम घृणि सूर्याय नमः' का भी जाप करें। इसके बाद तांबे के बर्तन में जल भरकर उसमें फूल, अक्षत और रोली डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। ऐसा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
इस दिन बिना नमक के एक समय भोजन करें और काले या नीले रंग के कपड़े पहनने से बचें। मांस-मदिरा का सेवन, झूठ बोलना, किसी का अपमान करना, बाल या दाढ़ी कटवाना, तेल मालिश करना और तांबे के बर्तन बेचना इस दिन वर्जित है। व्रत का उद्यापन 12 व्रतों के बाद किया जाता है।