क्या एसआईआर के जरिए वोट के अधिकार को लूटने का काम किया जा रहा है?: चंद्रशेखर आजाद
सारांश
Key Takeaways
- एसआईआर के जरिए वोट के अधिकार का संकट।
- चंद्रशेखर आजाद की आवाज उठाना आवश्यक।
- सरकार और चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल।
- नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना जरूरी।
- लोकतंत्र की मजबूती के लिए सक्रिय रहना।
नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में मंगलवार को एसआईआर पर 10 घंटे की चर्चा आरंभ हुई। इस चर्चा के दौरान सदन के भीतर विपक्षी सांसदों ने जोरदार हंगामा भी किया। इसी बीच, सांसद चंद्रशेखर आजाद ने आरोप लगाया कि एसआईआर के माध्यम से वोट के अधिकार को लूटने का प्रयास किया जा रहा है।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि यदि आप पिछले सत्र पर नजर डालें, तो पूरा सत्र केवल एसआईआर पर चर्चा न कर पाने के कारण बर्बाद हो गया। इस बार भी पहले दो दिन इसी कारण व्यर्थ गए। अब एसआईआर पर 10 घंटे की चर्चा चल रही है, जिसमें हम महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाएंगे।
चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि एसआईआर के माध्यम से वोट के अधिकार को लूटने का कार्य किया जा रहा है, लेकिन हम इसे सफल नहीं होने देंगे। वोट के अधिकार को समाप्त करने की साजिश रची जा रही है, जिसे हम कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने चुनाव आयोग पर तानाशाही का आरोप लगाया और पूछा कि एक महीने के भीतर एसआईआर कैसे कर सकते हैं।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि एसआईआर देशभर में किस योजना के तहत हो रहा है, और यह केवल उन जगहों पर क्यों हो रहा है, जहां आगामी विधानसभा चुनाव हैं। असम में एसआईआर क्यों नहीं कराया जा रहा है?
चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि वर्षों से रहने वाले नागरिकों से उनकी नागरिकता साबित करने का दबाव डाला जा रहा है। उन्होंने कहा कि कमजोर वर्गों और महिलाओं के लिए वोट अत्यंत महत्वपूर्ण है। हम अपने वोट देने के अधिकार को नहीं छोड़ेंगे और बड़ी संख्या में वोट काटे जा चुके हैं। यह आवश्यक है कि सरकार इस पर ध्यान दे। ऐसा प्रतीत होता है कि चुनाव आयोग हिटलर कमीशन की तरह काम कर रहा है।
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने एसआईआर कराया था और अब देश के अन्य कई राज्यों में एसआईआर किया जा रहा है। विपक्ष का आरोप है कि चुनाव आयोग सरकार के इशारे पर काम कर रहा है।