क्या एसआईआर को लेकर चुनाव आयोग की तैयारी सही है?

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क्या एसआईआर को लेकर चुनाव आयोग की तैयारी सही है?

सारांश

पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर चुनाव आयोग की तैयारियों पर उठे सवाल। समाजवादी पार्टी के नेता उदयवीर सिंह ने आयोग के डेटा और प्रक्रिया पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं। क्या आयोग की तैयारी में कोई कमी है?

Key Takeaways

  • विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया महत्वपूर्ण है।
  • चुनाव आयोग की तैयारियों पर उठे सवाल।
  • 26 लाख वोटर्स के नामों में अंतर।
  • राजनीतिक बयानों का समाज पर प्रभाव।
  • समाजवादी पार्टी की चिंताएँ।

लखनऊ, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर विवाद जारी है। इस बीच, चुनाव आयोग ने बताया है कि बंगाल की मौजूदा मतदाता सूची में मौजूद 26 लाख वोटर्स के नाम 2003 की मतदाता सूची के वोटर्स से मेल नहीं खाते हैं। समाजवादी पार्टी के नेता उदयवीर सिंह ने गुरुवार को आयोग की तैयारी पर सवाल उठाते हुए कहा, "चुनाव आयोग का अपना डेटा है। उत्तर प्रदेश में हम महसूस कर रहे हैं कि आयोग जो कह रहा है, उसकी खुद की तैयारी सही नहीं है। वेबसाइट पर 18 जिलों की 2003 और 2025 की वोटर लिस्ट का मैप नहीं है। जब लोग अपना आधार कार्ड और नंबर डालकर फॉर्म भरते हैं, तो 'नो डेटा फाउंड' दिखाई देता है। ऐसे में आयोग के खिलाफ कई सवाल खड़े हो गए हैं। आयोग न तो शिकायतें सुन रहा है और न उनका निस्तारण कर रहा है। वह सिर्फ अहंकार में मनमर्जी की बातें कर रहा है। ऐसे में आयोग की बातों को कितनी गंभीरता से लिया जाए, यह बड़ा सवाल है।"

रिटायर्ड चीफ जस्टिस गवई के बयान पर सपा नेता ने कहा, "किसी भी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को सकारात्मक बातें करनी चाहिए। सीजेआई गवई साहब अभी हाल ही में रिटायर्ड हुए हैं। उन्होंने अपने पद की गरिमा के अनुसार सही कहा है। जो राजनीतिक लोग हैं, वे जमीन पर जो देखते हैं, उसके अनुसार बोलते हैं। सभी का अपना नजरिया और अनुभव है।"

उन्होंने भाजपा सांसद एवं बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत के घुसपैठियों को कैंसर बताने वाले बयान पर कहा, "उन्हें सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों की समझ नहीं है। उनके तरह-तरह के बयानों को हम सुनते रहते हैं। उनके बयान को कितनी गंभीरता से लिया जाए, यह लोगों को खुद विचार करना चाहिए।"

पश्चिम बंगाल में गीता पाठ होने और उसमे बागेश्वर बाबा के शामिल होने पर उन्होंने कहा, "जहां भाजपा को राजनीतिक लाभ मिलता है, वहां ये लोग पहुंच जाते हैं। समाज को धार्मिक और जाति के आधार पर बांटने और लड़ाई करवाने के जो षड़यंत्र चलते हैं, उसमें वे ऐसे धार्मिक आयोजनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। जो धार्मिक आयोजन सच्चे मन से किए जाते हैं, भाजपा उसका राजनीतिकरण कर रही है।"

Point of View

यह स्पष्ट है कि चुनाव आयोग की तैयारियों में पारदर्शिता और सटीकता होना आवश्यक है। समाज के हर वर्ग को अपनी आवाज उठाने का अधिकार है। इस मुद्दे पर विचार विमर्श होना चाहिए ताकि लोकतंत्र की नींव मजबूत हो सके।
NationPress
27/11/2025

Frequently Asked Questions

विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) क्या है?
यह एक प्रक्रिया है जिसके तहत मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण किया जाता है ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि सभी योग्य मतदाता सही तरीके से सूचीबद्ध हैं।
चुनाव आयोग ने 2003 और 2025 की सूची में क्या अंतर बताया?
चुनाव आयोग ने कहा कि बंगाल की मौजूदा मतदाता सूची में मौजूद 26 लाख वोटर्स के नाम 2003 की मतदाता सूची से मेल नहीं खाते हैं।
उदयवीर सिंह ने चुनाव आयोग की तैयारियों पर क्या कहा?
उदयवीर सिंह ने आयोग की तैयारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि आयोग का डेटा सही नहीं है और कई शिकायतें सुनवाई के बिना रह गई हैं।
क्या राजनीतिक हस्तियों के बयानों का कोई प्रभाव होता है?
जी हां, राजनीतिक हस्तियों के बयान समाज में चर्चा का विषय बन जाते हैं और उनके विचारों का व्यापक प्रभाव होता है।
समाजवादी पार्टी की भूमिका क्या है?
समाजवादी पार्टी समाज के विभिन्न वर्गों की आवाज उठाने का काम करती है और चुनावी प्रक्रियाओं में सुधार की मांग करती है।
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