क्या स्कंदश्रमम मंदिर संतानहीन दंपत्तियों के लिए पूज्यनीय है?
सारांश
Key Takeaways
- स्कंदश्रमम मंदिर विशेष रूप से संतानहीन दंपत्तियों के लिए पूजनीय है।
- मंदिर में मां लक्ष्मी 18 भुजाओं के साथ विराजमान हैं।
- यहां की ज्यादातर प्रतिमाएं आमने-सामने हैं।
- मंदिर में विशेष पूजा और अनुष्ठान होते हैं।
- यह मंदिर 1971 में स्थापित हुआ था।
नई दिल्ली, 2 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दक्षिण भारत में भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय, जिन्हें स्कंद (मुरुगन) के नाम से जाना जाता है, की पूजा का विशेष महत्व है। दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों में मुरुगन को समर्पित कई मंदिर हैं, लेकिन तमिलनाडु के सलेम में स्थित स्कंदश्रमम मंदिर अद्वितीय है। यहां भगवान स्कंद अकेले नहीं, बल्कि अनेक देवी-देवताओं के साथ विराजमान हैं। इस मंदिर में मां लक्ष्मी अष्टादश भुजा रूप (18 भुजाओं के साथ) में विराजित हैं।
उदयपट्टी गांव में स्थित स्कंदश्रमम मंदिर पहाड़ियों के बीच स्थित है, जहां भक्त दूर-दूर से भगवान के पंच रूपी और अष्टरूपी प्रतिमाओं का दर्शन करने आते हैं। मंदिर में कई छोटे मंदिर भी हैं, जिनमें पंचमुख विनायक, अष्टादशभुजा महालक्ष्मी, पंचमुख अंजनेय और भगवान धन्वतरि विराजमान हैं। इस मंदिर की स्थापना ओम श्री संतानंद स्वामीगल द्वारा की गई थी और इसका निर्माण 1971 में पूरा हुआ था।
किवदंती के अनुसार, भगवान स्कंद ने ओम श्री संतानंद स्वामीगल को सपने में दर्शन देकर पहाड़ी पर मंदिर का निर्माण करने का निर्देश दिया था।
माना जाता है कि इस मंदिर में मांगी गई हर मुराद पूरी होती है, विशेषकर संतानहीन दंपत्तियों के लिए यह मंदिर पूज्यनीय है। जिन दंपत्तियों के पास संतान नहीं है, वे यहां आकर अनुष्ठान करते हैं। भगवान मुरुगन और अष्टादश भुजी महालक्ष्मी भक्तों की मुरादों को पूरा करती हैं।
इस मंदिर की एक खास बात यह है कि यहां की ज्यादातर प्रतिमाएं आमने-सामने की दिशा में हैं। मंदिर में मुरुगन को स्कंद गुरु के रूप में पूजा जाता है और मां लक्ष्मी को अष्टभुजा महालक्ष्मी के रूप में पूजा की जाती है। दोनों की प्रतिमाएं आमने-सामने विराजमान हैं। यहां मां पार्वती को दुर्गा परमेश्वरी के रूप में पूजा जाता है।
मंदिर में स्कंदमठ भी है जहां अष्ट दशपूजा महालक्ष्मी और दुर्गा परमेश्वरी की विशेष पूजा होती है। इसके साथ ही मंदिर परिसर के उत्तरी भाग में 16 फुट की पंचमुख आंजनेयर और पंचमुख भगवान गणेश की अद्भुत मूर्तियां भी हैं।
जो भक्त मंदिर में 'स्कंद कवचम' का पाठ करते हैं, उनकी सभी परेशानियों का समाधान होता है और संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है। मंदिर में सभी देवी-देवताओं का अभिषेक होता है, लेकिन अन्य मंदिरों की तरह पूजा-पाठ नहीं की जाती। यहां भगवान की कपूर से पूजा करने पर पाबंदी है। तमिल त्योहार वैकासी विसकम, नवरात्रि और पंगुनी उथिरम के अवसर पर मंदिर में विशेष कार्यक्रम और अनुष्ठान होते हैं। इस मंदिर में एक बड़ी यज्ञशाला भी है, जहां यज्ञ किए जाते हैं।