क्या श्रीलेखा मित्रा ने ममता बनर्जी की सरकार के खिलाफ कोलकाता हाई कोर्ट में याचिका दायर की है?

सारांश
Key Takeaways
- श्रीलेखा मित्रा ने सामाजिक प्रताड़ना से सुरक्षा के लिए कोलकाता हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
- सरकारी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाना अब और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है।
- सोशल मीडिया पर उन्हें धमकियां मिल रही हैं, जो एक गंभीर मुद्दा है।
- इस मामले ने प्रशासनिक स्तर पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
- आवाज उठाने वालों को न केवल सामाजिक बल्कि प्रशासनिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
कोलकाता, 3 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रसिद्ध अभिनेत्री श्रीलेखा मित्रा ने बुधवार को कलकत्ता हाई कोर्ट में एक याचिका प्रस्तुत की। यह याचिका उन्होंने ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ आवाज उठाने के कारण उत्पन्न हो रही सामाजिक प्रताड़ना से सुरक्षा प्राप्त करने के लिए दायर की है। उन्होंने यह आवाज राज्य संचालित आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की एक महिला डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर मुद्दों पर उठाई थी।
हाई कोर्ट ने उन्हें याचिका दायर करने की अनुमति दी है। यदि कोर्ट इसे स्वीकार कर लेती है, तो अगले हफ्ते इस पर सुनवाई होगी।
गौरतलब है कि इस घटना की पहली बरसी 9 अगस्त को श्रीलेखा मित्रा ने एक विरोध मार्च में भाग लिया था। वहां उन्होंने सरकार से प्रश्न किया कि एक साल बीत जाने के बाद भी पीड़िता और उसके परिवार को न्याय क्यों नहीं मिला।
अपनी याचिका में उन्होंने बताया है कि तब से उन्हें सोशल मीडिया पर लगातार धमकियां मिल रही हैं और लोग उनका सामाजिक बहिष्कार करने की कोशिश कर रहे हैं। उनके कोलकाता के बेहाला स्थित घर के बाहर उनके खिलाफ नारे लिखे पोस्टर और बैनर भी लगाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि इस मामले में उन्होंने पहले ही स्थानीय हरिदेवपुर पुलिस स्टेशन में ईमेल के जरिए शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसलिए उन्होंने सुरक्षा के लिए कोलकाता हाई कोर्ट का रुख किया है।
यह ध्यान देने योग्य है कि आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज की महिला डॉक्टर की दुष्कर्म और हत्या के बाद प्रदर्शन कर रहे वरिष्ठ और जूनियर डॉक्टरों को भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ा है। कई डॉक्टरों को बिना वजह दूर-दराज के क्षेत्रों में स्थानांतरित किया गया है।
कुछ डॉक्टरों के खिलाफ संदिग्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई भी शुरू की गई है। इससे आंदोलन के प्रमुख चेहरों पर दबाव बढ़ गया है। इस पूरे मामले ने सामाजिक और प्रशासनिक स्तर पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप है कि आवाज उठाने वालों को न केवल सामाजिक बल्कि प्रशासनिक स्तर पर भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।