क्या वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश सरकार की जीत है?

सारांश
Key Takeaways
- वक्फ संशोधन अधिनियम-2025 पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार किया।
- केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इसे सरकार की जीत बताया।
- वक्फ बोर्ड में तीन गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति पर कोर्ट ने बात की।
- मोहसिन रजा ने इसे जनहित में बताया।
- सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ करने के लिए 5 साल की अनिवार्यता पर भी अंतरिम रोक लगाई।
नई दिल्ली, 15 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम-2025 पर रोक लगाने से मना कर दिया है। हालांकि, कुछ प्रावधानों पर अदालत ने अंतरिम रोक लगाई है। इस निर्णय के बाद, सत्तापक्ष के नेता सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने समाचार एजेंसी से कहा कि यह सरकार की जीत है। कोर्ट ने केवल कुछ प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगाई है, जबकि रजिस्ट्रेशन अब भी अनिवार्य रहेगा। वक्फ बोर्ड में 3 गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति पर भी कोर्ट ने बात की है, जो एक सकारात्मक कदम है। मैं इसके लिए कोर्ट के इस निर्णय का स्वागत करता हूँ।
गिरिराज सिंह ने यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड की 80 प्रतिशत जमीन लूटमार की है। उन्होंने कहा कि भविष्य में हर जमीन को रजिस्टर्ड कराना आवश्यक होगा।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और भाजपा नेता मोहसिन रजा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हैं। जो वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 लाया गया है, वह जनहित और देशहित में है, क्योंकि इसे 90 लाख लोगों से सुझाव लेने के बाद बनाया गया था।
मोहसिन रजा ने कहा, "विपक्ष के लोग नकारात्मक राजनीति करते हैं। विपक्ष बार-बार गैर-मुस्लिम सदस्यों के बारे में सवाल उठाते थे। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि बोर्ड में तीन से अधिक गैर-मुस्लिम नहीं हो सकते। इससे यह स्पष्ट है कि गैर-मुस्लिम भी बोर्ड के सदस्य होंगे, जो सहायता के लिए रहेंगे। कई बार वक्फ बोर्ड में हिंदू भी आते हैं, जो कहते हैं कि उनकी संपत्ति गलत तरीके से वक्फ में दर्ज की गई है।"
पूर्व मंत्री ने आगे कहा, "कई भ्रांतियों और लोगों की शिकायतों के निस्तारण के लिए वक्फ संशोधन अधिनियम में प्रावधान किए गए थे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई रोक नहीं लगाई है। कोर्ट ने वक्फ के लिए 5 साल की अनिवार्यता पर भी केवल अंतरिम रोक लगाई है। कोर्ट ने इसे खारिज नहीं किया है।"
मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सनवर पटेल ने भी इस फैसले पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह अंतिम फैसला नहीं है। नए कानून से जरूरतमंद मुसलमानों को ताकत मिलेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ नेताओं ने भड़काने का काम किया है और लोगों को बांटने की कोशिश की है।