क्या तानसेन की जन्मस्थली बेहट को अतिक्रमण मुक्त कर संरक्षित किया जाएगा?
सारांश
Key Takeaways
- तानसेन की जन्मस्थली बेहट का संरक्षण आवश्यक है।
- पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस दिशा में कदम उठाए हैं।
- यह स्थान ध्रुपद परंपरा की वैश्विक धरोहर है।
- सरकार को एएसआई को प्रस्ताव भेजना चाहिए।
- यह भारतीय संगीत की पहचान है।
भोपाल, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में संगीत सम्राट तानसेन की जन्मस्थली बेहट स्थित है। इस नगर के अतिक्रमण मुक्त किए जाने के साथ संरक्षित करने की मांग पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने की है।
राज्यसभा सांसद एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर तानसेन (रामतनु पाण्डे) की जन्म एवं साधना स्थली बेहट के संरक्षण, विकास एवं अतिक्रमण-मुक्त किए जाने की मांग की है। पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने अपने पत्र में लिखा कि तानसेन की जन्मस्थली ध्रुपद परंपरा की वैश्विक धरोहर है, परंतु संरक्षण के अभाव में यह स्थान लगातार अतिक्रमण और उपेक्षा का शिकार हो रहा है, जिससे संगीतप्रेमियों एवं नवोदित कलाकारों की भावनाएं आहत हो रही हैं।
उन्होंने बताया कि इस विषय पर उन्होंने दिसंबर 2024 में प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखकर स्थल को अतिक्रमण-मुक्त करने एवं राष्ट्रीय स्तर पर संरक्षित घोषित करने का आग्रह किया था। इसके साथ ही 13 फरवरी 2025 को राज्यसभा में प्रश्न के माध्यम से भी यह मुद्दा उठाया था।
राज्यसभा में प्राप्त उत्तर के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा तानसेन की जन्मस्थली के संरक्षण एवं विकास संबंधी कोई प्रस्ताव भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) या मध्य प्रदेश पुरातत्व विभाग को नहीं भेजा गया है। दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि तानसेन की जन्मस्थली बेहट को संरक्षित व विकसित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा एएसआई को औपचारिक प्रस्ताव भेजा जाए, तथा राज्य स्तर पर भी इस अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण हेतु तत्काल प्रभाव से ठोस कदम उठाए जाएं।
उन्होंने कहा कि तानसेन की धरोहर केवल ग्वालियर या मध्य प्रदेश की नहीं, बल्कि भारतीय शास्त्रीय संगीत की वैश्विक पहचान है और इसका संरक्षण सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।