क्या तेजस्वी यादव न सत्ता और न ही विपक्ष के नेता के लायक हैं?

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क्या तेजस्वी यादव न सत्ता और न ही विपक्ष के नेता के लायक हैं?

सारांश

भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने तेजस्वी यादव पर कड़ी टिप्पणी की है, यह कहते हुए कि वे न तो सत्ता के योग्य हैं और न ही विपक्ष के नेता के। जानिए उनके इस बयान के पीछे के कारण और बिहार में राजनीतिक वातावरण पर इसका क्या असर होगा।

Key Takeaways

  • राजनीतिक बयानबाजी का महत्व
  • जनता की भावनाएं समझना जरूरी है
  • विपक्ष के नेताओं की भूमिकाएं महत्वपूर्ण होती हैं
  • महिलाओं और युवाओं का समर्थन महत्वपूर्ण है
  • राजनीतिक रणनीतियों की समीक्षा आवश्यक है

नई दिल्ली, 7 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने राजद नेता तेजस्वी यादव पर कड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव न तो सत्ता के लायक हैं और न ही विपक्ष के नेता के लायक हैं।

नई दिल्ली में राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि तेजस्वी यादव ने एक वरिष्ठ पत्रकार को इंटरव्यू दिया था। यह पूरी तरह से प्लांटेड इंटरव्यू था। इसमें उन्होंने कहा कि उन्हें लगता था कि उनके पास बहुमत है, लेकिन न जाने फिर क्या हो गया। उन्हें पता नहीं था कि आधी आबादी पूरी तरह हमारे साथ थी। महिलाओं और युवाओं ने हमारा समर्थन किया। हमारा एमवाई मतलब महिलाएं और युवा थे।

तेजस्वी को निशाने पर लेते हुए कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान जैसे ही तेजस्वी यादव की मुख्यमंत्री पद के लिए घोषणा हुई, बिहार के लोगों में डर पैदा हो गया कि ‘जंगलराज पार्ट-2’ आने वाला है। इसी डर के कारण बड़ी संख्या में लोग हमारा समर्थन करने आए। हम जितनी मेहनत कर रहे थे, जनता उससे कहीं ज्यादा मेहनत कर रही थी।

तेजस्वी यादव को समझना चाहिए कि जनता ने जिसे जिताया है, उसे बधाई देनी चाहिए, बहाने नहीं ढूंढने चाहिए। तेजस्वी यादव को लेकर परिवार से लेकर जनता में गुस्सा है और वे ईवीएम पर निशाना साध रहे हैं। तेजस्वी यादव न तो सत्ता के लायक हैं और न ही विपक्ष के नेता के लायक। विपक्ष के नेता कर्पूरी ठाकुर और सुशील मोदी जैसे रहे हैं, जो विपक्ष में रहकर भी प्रभावी राजनीति करते थे, तेजस्वी को कुछ सीखना चाहिए। लेकिन, वे तो राहुल गांधी की कॉपी करते हैं। तेजस्वी ने राहुल गांधी की तरह सिर्फ टी-शर्ट पहन ली है। राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान सदन में मौजूद तक नहीं थे। चुनाव हारने के बाद बिहार में रहकर जिलों में जाकर हार की समीक्षा करनी चाहिए थी, लेकिन वे राहुल गांधी की तरह विदेश चले गए।

तेजस्वी यादव राहुल गांधी से बहुत प्रभावित हैं और उनके नक्शे-कदम पर चलकर अपनी पार्टी का नाश कर रहे हैं।

टीएमसी से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर द्वारा बाबरी मस्जिद की नींव रखे जाने पर उन्होंने कहा कि हुमायूं कबीर को पहले कोई जानता तक नहीं था। ममता बनर्जी के इशारे पर ही उन्होंने बाबरी मस्जिद बनाने की बात कही। यह टीएमसी की वोटबैंक की राजनीति का हिस्सा है। हिंदू-मुस्लिम के नाम पर लोगों को बांटने का प्लान था, इसलिए हुमायूं कबीर को आगे बढ़ाया गया। हुमायूं में कबीर जैसा कुछ नहीं है, उसके सारे विचार बाबर जैसे हैं। वह समाज में दरार डालना चाहता है। मस्जिद बनानी है तो नमाज के लिए बनानी चाहिए, बाबर के नाम पर क्यों? बाबर ने भारत को लूटा था। उसके नाम पर मस्जिद किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं की जाएगी।

इंडी गठबंधन पर उमर अब्दुल्ला के बयान का जिक्र करते हुए शाहनवाज हुसैन ने कहा कि उमर अब्दुल्ला बिल्कुल सही कह रहे हैं कि वर्तमान में इंडिया अलायंस का कोई वजूद नहीं बचा है।

Point of View

जनता के बीच की भावनाओं को समझना आवश्यक है। इसलिए, तेजस्वी को अपने कदमों की समीक्षा करनी चाहिए और जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिए।
NationPress
07/12/2025

Frequently Asked Questions

शाहनवाज हुसैन ने तेजस्वी यादव को क्यों आलोचना की?
उन्होंने कहा कि तेजस्वी न तो सत्ता के योग्य हैं और न ही विपक्ष के नेता के रूप में कार्य कर सकते हैं, क्योंकि वे जनता की भावनाओं को समझने में असफल रहे हैं।
तेजस्वी यादव का क्या कहना है?
तेजस्वी यादव ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें लगता था कि उनके पास बहुमत है, लेकिन उन्होंने स्थिति को गलत समझा।
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