क्या उज्जैन में भांग के शृंगार में सज गए बाबा महाकाल? भस्म आरती में उमड़े श्रद्धालु
सारांश
Key Takeaways
- उज्जैन में बाबा महाकाल का मंदिर एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
- भस्म आरती में हजारों भक्त शामिल होते हैं।
- बाबा का शृंगार विशेष अवसरों पर भव्य होता है।
- महाकाल के दर्शन से श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति मिलती है।
उज्जैन, 12 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि बुधवार को सुबह तड़के उज्जैन के बाबा महाकाल के दरबार में भक्तों को बाबा के दिव्य दर्शन का अवसर मिला।
बुधवार की सुबह भस्म आरती के दौरान श्रद्धालु बाबा महाकाल की एक झलक पाने के लिए उत्सुक थे। भक्त रात से ही लंबी कतारों में लगे थे, सभी बाबा की दिव्यता को देखने के लिए तत्पर थे।
सुबह 4 बजे से ही भक्तों के लिए बाबा महाकाल के कपाट खुले। इस बार बाबा का शृंगार कुछ विशेष था; उनके मस्तक पर चमकता त्रिपुंड, बीच में त्रिनेत्र और पूरा शरीर पवित्र भांग से सजाया गया था, जिससे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे स्वयं भोलेनाथ प्रकट हो गए हों। उनकी आंखों में अद्भुत चमक थी।
इसके बाद मंदिर परिसर में 'जय श्री महाकाल', 'हर हर महादेव' और 'बम बम भोले' के जयकारे गूंजने लगे। इस भव्य वातावरण ने मंदिर को एक अद्भुत रूप प्रदान किया। भस्म आरती के बाद भक्तों का दर्शन जारी रहा।
उज्जैन महाकाल मंदिर में दिन भर 6 बार आरती होती है, जिसमें भस्म आरती की खास अहमियत है। इसे देखने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं और ब्रह्म मुहूर्त में बाबा की आरती का आनंद लेते हैं।
बाबा महाकाल को चढ़ाए जाने वाले कपिला गया के गोबर से बने कंडे और विभिन्न पेड़ों की लकड़ियों से तैयार की गई भस्म को एक सूती कपड़े में बांधकर शिवलिंग पर अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि महाकाल के दर्शन के बाद जूना महाकाल के दर्शन अवश्य करने चाहिए।
भस्म आरती लगभग दो घंटे तक चलती है, जिसमें वैदिक मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। इसी दौरान महाकाल का शृंगार भी किया जाता है।