क्या उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती में गणेश स्वरूप के दर्शन हुए?
सारांश
Key Takeaways
- उज्जैन महाकाल का धार्मिक महत्व अत्यधिक है।
- भस्म आरती में गणेश स्वरूप का दर्शन एक अनोखा अनुभव है।
- भक्तों की भक्ति का स्तर मंदिर परिसर को गुंजायमान कर देता है।
- हर दिन का श्रृंगार अलग-अलग होता है, जो भक्तों को आकर्षित करता है।
- महाकालेश्वर मंदिर भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
उज्जैन, 6 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गुरुवार सुबह महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। रातभर लाइन में खड़े भक्तों ने भस्म आरती देखने के लिए इंतज़ार किया। सुबह ठीक 4 बजे बाबा महाकाल जागृत हुए और भक्तों को अपना दिव्य रूप दिखाया।
इस बार भस्म आरती के समय बाबा महाकाल का श्रृंगार बेहद अनोखा और दिव्य था। भक्तों ने उनके दो मनमोहक स्वरूपों के दर्शन किए, जिससे मंदिर परिसर भक्ति की ऊर्जा से भर गया। सर्वप्रथम, बाबा महाकाल के मस्तक पर चंदन से बनी चंद्रमा की आकृति सुसज्जित की गई, जिसने उनके त्रिनेत्र स्वरूप को और भी आकर्षक बना दिया।
आरती का सबसे विशेष आकर्षण बाबा महाकाल का गणेश स्वरूप में दर्शन देना था। उन्हें हाथी के समान सिर, बड़ी-बड़ी आंखें और गजेंद्र जैसे कान धारण कराए गए थे। यह अद्भुत और दुर्लभ दृश्य देखकर भक्तगण भाव-विभोर हो गए।
इस अलौकिक श्रृंगार के साक्षी बने श्रद्धालुओं ने जयकारों की गूंज से पूरे मंदिर परिसर को गुंजायमान कर दिया। हर तरफ 'जय श्री महाकाल' और 'जय श्री गणेश' का घोष सुनाई दे रहा था, जो शिव और शक्तिपुत्र गणेश के एकाकार स्वरूप के प्रति गहरी आस्था को दर्शाता है।
बता दें कि बाबा महाकाल की भस्म आरती सुबह 4 बजे होती है और इसे महानिर्वाणी अखाड़े के द्वारा बाबा को अर्पित किया जाता है। भस्म आरती के बाद बाबा का श्रृंगार किया जाता है, जिसके बाद भक्त एक-एक करके दर्शन करने के लिए आते हैं। हर दिन बाबा का श्रृंगार विभिन्न तरीकों से किया जाता है, जिससे भक्त दूर-दूर से आते हैं।
भस्म आरती की प्रक्रिया में पहले ज्योतिर्लिंग को वस्त्र से ढक दिया जाता है, फिर भस्म रमाई जाती है। इसके बाद भगवान को रजत मुकुट, त्रिपुंड, रुद्राक्ष, मुंडमाला और फूलों से सजाया जाता है। यह श्रृंगार प्रतिदिन अलग-अलग रूप में किया जाता है, जो भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र होता है। आज के 'चंद्र-कमल' श्रृंगार ने भक्तों का मन मोह लिया।