क्या उत्तराखंड की मत्स्य संपदा योजना ने हरिद्वार के संदीप की किस्मत बदल दी?

सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से मछली पालन को बढ़ावा मिलता है।
- संदीप सिंह की सफलता से प्रेरणा लें।
- आर्थिक सहायता और तकनीकी मदद का लाभ उठाएं।
- समुदाय के विकास में योगदान दें।
- योजना के तहत सब्सिडी की जानकारी लें।
हरिद्वार, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के कार्यान्वयन को बुधवार को 5 वर्ष हो जाएंगे, और इस योजना का असर पूरे देश में, विशेषकर उत्तराखंड के हरिद्वार में, स्पष्ट रूप से महसूस किया जा रहा है।
उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के डांडी गांव के निवासी संदीप सिंह पंचपाल ने जब देश कोविड महामारी से संघर्ष कर रहा था, उस कठिन समय का फायदा उठाकर प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के माध्यम से अपनी आर्थिक स्थिति को पूरी तरह से बदल दिया। उन्होंने 2020 में इस योजना की शुरुआत अपने गांव में की थी। संदीप ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत उन्हें पर्याप्त सब्सिडी और सरकार से तकनीकी सहायता मिली, जिससे उन्होंने मछली पालन व्यवसाय में कदम रखा। आर्थिक तंगी से जूझने वाले संदीप अब बड़े पैमाने पर मछली पालन का व्यवसाय कर रहे हैं और न केवल अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं, बल्कि गांव के अन्य लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं।
संदीप सिंह पंचपाल ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार के अधिकारियों का धन्यवाद किया, जिन्होंने उन्हें योजना के अंतर्गत सहायता प्रदान की। उन्होंने कहा कि जो कुछ भी मैं आज कर रहा हूं, वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देन है। उनके सपनों की योजना ने मेरे जीवन को नई दिशा दी।
संदीप की यह सफलता कहानी पूरे क्षेत्र में प्रेरणा बन गई है। आज उनकी मेहनत और योजना के सही उपयोग से डांडी गांव समेत आसपास के इलाकों में भी आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा जागृत हो रही है, जिससे पूरे क्षेत्र की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत एससी, एसटी और महिलाओं को 60 प्रतिशत की सब्सिडी मिलती है, जबकि सामान्य वर्ग के लिए यह 40 प्रतिशत है। मेरा प्रोजेक्ट 50 लाख रुपए का था, जिसमें से 30 लाख की छूट मिली है। यह योजना मेरे लिए बेहद मददगार साबित हुई है।