क्या कांग्रेस वंदे मातरम के 150 साल का सम्मान नहीं कर रही है?

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क्या कांग्रेस वंदे मातरम के 150 साल का सम्मान नहीं कर रही है?

सारांश

क्या कांग्रेस वंदे मातरम के 150 साल का सम्मान नहीं कर रही है? जानिए लोकसभा में हुई चर्चा के मुख्य बिंदु और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप।

Key Takeaways

  • वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर संसद में चर्चा हुई।
  • एनडीए सांसदों ने विपक्ष पर बंगाली नेताओं को सम्मान न देने का आरोप लगाया।
  • राहुल गांधी की अनुपस्थिति पर सवाल उठाए गए।
  • वंदे मातरम को राष्ट्रीय भावना का प्रतीक माना गया।
  • हुगली मोहसिन कॉलेज में वंदे मातरम हाउस बनाने की मांग की गई।

नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संसद के शीतकालीन सत्र में वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के अवसर पर विशेष चर्चा की जा रही है। सोमवार को लोकसभा में हुई इस चर्चा में सत्तापक्ष के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सांसदों ने विपक्षी पार्टियों पर बंगाली नेताओं को सम्मान नहीं देने का आरोप लगाया। विपक्ष ने इस चर्चा को बंगाल चुनाव के संदर्भ में आयोजित करने का आरोप लगाया।

एनडीए नेताओं ने राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए विपक्ष पर हमला बोला। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के न बोलने की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, "क्या कोई मौजूद था या नहीं, असली बात यह है कि उनके मन में वंदे मातरम के प्रति कितनी श्रद्धा है। वे देश, वंदे मातरम, राष्ट्रगान और राष्ट्रीय गीत के प्रति अपना सम्मान कैसे दिखाते हैं, यही उनके असली भावनाओं को दर्शाता है।"

भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा, "मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला का आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर सदन में एक सार्थक चर्चा आयोजित की। इसमें लगभग 68 लोकसभा सांसदों ने हिस्सा लिया और आजादी की लड़ाई में वंदे मातरम की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की।"

असम भाजपा अध्यक्ष एवं लोकसभा सांसद दिलीप सैकिया ने कहा, "वंदे मातरम एक मंत्र है जो हमारी राष्ट्रीय भावना को दर्शाता है। लोकसभा में चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता को उपस्थित रहना चाहिए था। इस महत्वपूर्ण चर्चा में - जो हमारे देश और हमारी आज़ादी के लिए जान देने वाले हजारों लोगों का सम्मान करती है - हमने विपक्ष के नेता की तरफ से सम्मान की कमी देखी।"

वहीं दूसरी ओर, हुगली मोहसिन कॉलेज के पुरुषोत्तम प्रमाणिक ने कॉलेज में वंदे मातरम हाउस बनाने की बात कही। उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि केंद्र और राज्य सरकारें वंदे मातरम के विकास के लिए तुरंत कदम उठाएंगी और हुगली मोहसिन कॉलेज के सेंटर में एक वंदे मातरम हाउस बनाएंगी, जहां बंकिमचंद्र चटर्जी ने अपनी ग्रेजुएशन पूरी की थी और वंदे मातरम की रचना की थी। उन्हें हुगली मोहसिन कॉलेज के पूरे विकास के लिए भी कदम उठाने चाहिए।"

Point of View

इस चर्चा में राजनीति की छाया स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। यह महत्वपूर्ण है कि हम इस मुद्दे को न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें, बल्कि इसे हमारे राष्ट्रीय गौरव और एकता के प्रतीक के रूप में भी समझें। वंदे मातरम का महत्व केवल एक गीत नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और पहचान का अभिन्न हिस्सा है।
NationPress
09/12/2025

Frequently Asked Questions

वंदे मातरम का इतिहास क्या है?
वंदे मातरम मूल रूप से बंकिमचंद्र चटर्जी की रचना है, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक महत्वपूर्ण गीत बना।
कांग्रेस पर आरोप क्यों लगाए गए हैं?
भाजपा सांसदों ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने बंगाली नेताओं को सम्मान नहीं दिया है और इस प्रकार वंदे मातरम के महत्व को नजरअंदाज किया है।
लोकसभा में वंदे मातरम पर चर्चा का महत्व क्या है?
यह चर्चा स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक के रूप में वंदे मातरम की भूमिका को उजागर करती है और इसे राष्ट्रीय पहचान से जोड़ती है।
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