क्या किसी को राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' गाने में आपत्ति होनी चाहिए?: भाजपा प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर
सारांश
Key Takeaways
- वंदे मातरम का महत्व स्वतंत्रता संग्राम में गहराई से जुड़ा हुआ है।
- यह गीत देशभक्ति का प्रतीक है।
- सभी नागरिकों को इसे गर्व के साथ गाना चाहिए।
श्रीनगर, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संसद का शीतकालीन सत्र प्रगति पर है। इस अवसर पर भारत के राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष चर्चा की गई। इस संदर्भ में 'वंदे मातरम' को लेकर कई महत्वपूर्ण बयान भी सामने आए। इस पर श्रीनगर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने बुधवार को कहा कि देश के किसी भी नागरिक को 'वंदे मातरम' गाने पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
भाजपा प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा, "भारत का हर एक व्यक्ति वंदे मातरम गाता है। यह हमारा राष्ट्रीय गीत है, जिसे सभी को गर्व के साथ गाना चाहिए। यह वही गीत है, जिसने भारत के लोगों के अंदर आजादी का नया जज़्बा भर दिया।"
उन्होंने आगे कहा, "जब आजादी की जंग लड़ी जाती थी और बड़े-बड़े जलसे होते थे, तब क्रांतिकारी इस गीत को गाते थे। यह गीत देशभक्तों को जोश और प्रेरणा देता था। इसी कारण भारत अंग्रेजों के कब्जे से मुक्त हो सका।"
वंदे मातरम गाने पर आपत्ति नहीं होने के अपने बयान को दोहराते हुए भाजपा प्रवक्ता ने कहा, "इस गीत में भारत के प्राकृतिक सौंदर्य का भी समावेश है। इसमें देश की विशेषताओं की सराहना की गई है। मुझे नहीं लगता कि इसमें किसी को आपत्ति होनी चाहिए।"
उन्होंने जोड़ा, "जैसे अशफाकुल्लाह खां जैसे कई शहीदों ने इस गीत को गाने में कोई आपत्ति नहीं की। जो इस गीत को नकारता है, उसे सदन में रहने का कोई अधिकार नहीं है।"
भाजपा नेता ने कहा, "वंदे मातरम पर किसी को कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए। हर किसी को संसद में या देश के किसी भी राज्य की विधानसभा में इसे गाना चाहिए। हम इसे गाते भी हैं।"
ज्ञात रहे कि संसद के शीतकालीन सत्र में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष चर्चा हुई। लोकसभा में इस चर्चा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय गीत के गौरव के बारे में बताया।