क्या 30वें सीआईआई साझेदारी शिखर सम्मेलन में उपराष्ट्रपति ने भारत में निवेश का सही समय बताया?
सारांश
Key Takeaways
- भारत में निवेश के लिए सही समय
- प्रधानमंत्री मोदी की आर्थिक योजनाएँ
- आंध्र प्रदेश का औद्योगिक विकास
- स्टार्टअप इकोसिस्टम में बढ़ोतरी
- क्वांटम प्रौद्योगिकी और हरित हाइड्रोजन
विशाखापत्तनम, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में आयोजित 30वें सीआईआई साझेदारी शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने भाग लिया। उन्होंने भारत की तेज़ आर्थिक प्रगति, निवेश संभावनाओं और वैश्विक नेतृत्व क्षमता के विषय में विचार साझा किए।
उपराष्ट्रपति ने उद्योग जगत के दिग्गजों, नीति निर्माताओं और 45 देशों के प्रतिनिधियों के समक्ष कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक अभूतपूर्व आर्थिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है।
उन्होंने गरीबी उन्मूलन को प्रधानमंत्री मोदी की ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए कहा कि करोड़ों लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर लाने का यह प्रयास निरंतर आर्थिक गतिविधियों और अवसर सृजन का परिणाम है।
उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि भारत में निवेश करने का यह सर्वश्रेष्ठ समय है, क्योंकि देश श्रम कानूनों, कर सुधारों, बुनियादी ढांचे और डिजिटल पहलों में व्यापक सुधार कर रहा है।
उन्होंने भारत को दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बताया। उन्होंने बताया कि भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम विश्व में तीसरे स्थान पर है और स्वच्छ प्रौद्योगिकी निर्यात में भारत तेजी से वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है।
उपराष्ट्रपति ने प्रौद्योगिकी, विश्वास और व्यापार को भविष्य के विकास के महत्वपूर्ण स्तंभ बताया। उन्होंने आंध्र प्रदेश की प्रगति की सराहना की और मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व को आंध्र प्रदेश को औद्योगिक विकास का राष्ट्रीय मॉडल बनाने का श्रेय दिया।
उन्होंने विश्वास जताया कि राज्य एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है और विशाखापत्तनम जल्द ही निवेश का एक बड़ा केंद्र बनेगा। आंध्र प्रदेश के क्वांटम प्रौद्योगिकी और हरित हाइड्रोजन के हब के रूप में विकसित होने की संभावनाएं भी रेखांकित की गईं।
यह दो दिवसीय शिखर सम्मेलन सीआईआई, डीपीआईआईटी और आंध्र प्रदेश सरकार की साझेदारी में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें 45 सत्र, 72 अंतरराष्ट्रीय वक्ता और 300 विदेशी प्रतिभागी शामिल हैं। इसका मुख्य विषय प्रौद्योगिकी, विश्वास और व्यापार: नई भू-आर्थिक व्यवस्था की खोज था।
इस कार्यक्रम में राज्यपाल एस. अब्दुल नजीर, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, किंजरापु राममोहन नायडू, भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा और डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी जैसे कई गणमान्य उपस्थित रहे।