क्या दीपावली पर अखिलेश यादव के बयान पर योगेंद्र चंदोलिया भड़के?

सारांश
Key Takeaways
- दीपावली हिंदुओं का पवित्र पर्व है।
- योगेंद्र चंदोलिया ने अखिलेश यादव पर कड़ी प्रतिक्रिया दी।
- राजनीति में धार्मिक भावनाओं का सम्मान आवश्यक है।
- कांग्रेस और भाजपा के बीच अंबेडकर को लेकर सम्मान की बहस।
- दिल्ली का प्रदूषण एक गंभीर मुद्दा है।
नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के दीपावली पर दिए गए बयान को लेकर भारतीय जनता पार्टी के सांसद योगेंद्र चंदोलिया ने तीखा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव को अपनी राय अपने पास ही रखनी चाहिए, क्योंकि दीपावली हिंदुओं का एक पवित्र पर्व है। यह पटाखों, मिठाइयों और दीयों का त्योहार है।
चंदोलिया ने राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत में कहा, 'मुलायम सिंह यादव से लेकर अखिलेश यादव तक देश में कितना परिवर्तन आया है। दीपावली के बाद जो लोग क्रिसमस मनाते हैं, वे अपने तरीके से लाइटिंग करते हैं, हमारे घरों में भी लाइटिंग होती है, लेकिन दीपावली का अपना महत्व है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे हैं। दीये और मोमबत्तियां बनाने वालों को रोजगार मिल रहा है, अयोध्या में दीप महोत्सव से यह परंपरा और सशक्त होगी। अखिलेश यादव एक विशेष समाज को अपने पक्ष में करने के लिए लोगों की भावनाओं से खेलने का काम करते हैं।'
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर के प्रति वास्तविक सम्मान भाजपा ने दिखाया है, जबकि कांग्रेस ने कभी उन्हें उचित सम्मान नहीं दिया। चंदोलिया ने कहा कि डॉ. अंबेडकर की मृत्यु के बाद कांग्रेस ने उन्हें भारत रत्न नहीं दिया। उन्हें भारत रत्न भाजपा सरकार के समय मिला, यह गर्व की बात है।
कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के बयान पर भी भाजपा सांसद ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “सैम पित्रोदा जो भी बातें करते हैं, राहुल गांधी को उन्हें समझाना चाहिए। हिमाचल में कांग्रेस ने जीत हासिल की तो क्या वह धांधली से हुई थी? ममता बनर्जी की जीत भी धांधली से हुई क्या? सैम पित्रोदा जैसे लोग कांग्रेस को और दूर ले जा रहे हैं। ऐसे कई ‘पित्रोदा’ हैं जिनकी वजह से आज कांग्रेस का जनाधार खत्म होता जा रहा है।”
दिल्ली के प्रदूषण को लेकर विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे सवालों पर चंदोलिया ने आम आदमी पार्टी को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली में 11 साल तक सरकार चलाने वालों को बताना चाहिए कि उनके शासन में एयर क्वालिटी इंडेक्स क्या था। सात महीने के आंकड़ों से तुलना करना गलत है। सरकार प्रयास कर रही है और आने वाले समय में इसका सकारात्मक असर दिखेगा।