क्या सरकार ने 1.35 करोड़ टीबी मरीजों को पोषण सहायता के लिए 4,322 करोड़ रुपए वितरित किए?
सारांश
Key Takeaways
- निक्षय पोषण योजना का उद्देश्य टीबी रोगियों को पोषण सहायता प्रदान करना है।
- रोगियों को प्रति माह 1,000 रुपए की सहायता मिलती है।
- निक्षय मित्र पहल के तहत 20.3 लाख रोगियों को खाद्य सहायता मिली है।
- यह योजना टीबी के उन्मूलन में सहायक है।
- आगे टीबी मामलों की पहचान और उपचार में तेजी लाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार ने मंगलवार को संसद में जानकारी दी कि निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत, 2018 से तपेदिक (टीबी) के 1.35 करोड़ रोगियों को कुल 4,322 करोड़ रुपए वितरित किए गए हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि देश भर में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत टीबी मुक्त भारत अभियान को मजबूत करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी।
पटेल ने कहा कि निक्षय पोषण योजना के तहत अप्रैल 2018 से 1.35 करोड़ टीबी रोगियों को 4,322 करोड़ रुपए वितरित किए गए हैं।
इस योजना का उद्देश्य टीबी रोगियों को इलाज के दौरान पोषण संबंधी सहायता प्रदान करना है। इसके तहत मरीजों को प्रति माह 1,000 रुपए की वित्तीय सहायता दी जाएगी, जो पहले 500 रुपए थी। यह योजना सभी अधिसूचित टीबी रोगियों के लिए है और धनराशि सीधे उनके बैंक खातों में हस्तांतरित की जाती है।
पटेल ने यह भी बताया कि निक्षय मित्र पहल के तहत, सितंबर 2022 से 20.3 लाख टीबी रोगियों को 45.66 लाख खाद्य टोकरियां वितरित की गई हैं।
प्रधानमंत्री के टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत शुरू की गई निक्षय मित्र पहल, एक समुदाय-संचालित कार्यक्रम है। इसके अंतर्गत व्यक्ति, गैर-सरकारी संगठन और संगठन (निक्षय मित्र) टीबी रोगियों को गोद लेते हैं ताकि उन्हें पोषण (जैसे भोजन/पूरक), नैदानिक और व्यावसायिक सहायता सहित महत्वपूर्ण अतिरिक्त सहायता प्रदान की जा सके। इससे सरकार द्वारा प्रदान किए जाने वाले मुफ्त उपचार में सहायता मिलती है। इससे मरीजों को अपना उपचार पूरा करने, जेब से होने वाले खर्च को कम करने और 2025 तक भारत में टीबी को समाप्त करने में मदद मिलती है।
मंत्री ने कहा कि टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत एक नए दृष्टिकोण को लागू किया जा रहा है ताकि टीबी के बिना पहचान वाले टीबी मामलों और टीबी से संबंधित मौतों को कम किया जा सके। इससे देश भर में नए संक्रमणों को रोका जा सकेगा।
इसमें संवेदनशील आबादी की पहचान, सीने के एक्स-रे से जांच, सभी संभावित टीबी मामलों के लिए न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट (एनएएटी), शीघ्र और उचित उपचार शुरू करना, उच्च जोखिम वाले टीबी मामलों के प्रबंधन के लिए विभेदित टीबी देखभाल, पोषण सहायता, तथा घरेलू संपर्कों और पात्र संवेदनशील आबादी के लिए निवारक उपचार शामिल हैं।