क्या 1972 ओलंपिक पदक विजेता वेस पेस का निधन हो गया? ममता बनर्जी ने जताया शोक

सारांश
Key Takeaways
- डॉ. वेस पेस का निधन भारतीय खेलों के लिए एक बड़ा क्षति है।
- उन्होंने हॉकी में 1972 का ओलंपिक कांस्य पदक जीता।
- वे शिक्षा और खेल दोनों क्षेत्रों में सफल रहे।
- ममता बनर्जी ने उनके योगदान को याद किया।
- उनका जीवन युवा खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरणा है।
कोलकाता, 14 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। म्यूनिख ओलंपिक (1972) में हॉकी में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य डॉ. वेस पेस का कोलकाता में निधन हो गया। 80 वर्ष के इस पूर्व हॉकी सितारे को पार्किंसन रोग से पीड़ित थे।
डॉ. वेस पेस भारत के प्रसिद्ध टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस के पिता थे। उन्होंने खेल और शिक्षा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की थीं।
वेस पेस के निधन पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शोक व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "1972 के ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली टीम के सदस्य डॉ. वेस पेस के निधन से मैं बहुत दुखी हूं। हॉकी और खेल चिकित्सा में उनके योगदान को हम हमेशा याद रखेंगे। मेरे संवेदनाएं लिएंडर पेस, उनके दोस्तों और कोलकाता के उन क्लबों के प्रति हैं जिनसे वे जुड़े थे।"
हॉकी इंडिया के अध्यक्ष दिलीप तिर्की ने लिखा, "हॉकी इंडिया के लिए यह एक दुःखद दिन है। डॉ. पेस के निधन से हॉकी के एक महान युग का अंत हो गया है। म्यूनिख में जीता गया ओलंपिक पदक उनके धैर्य और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है। मैंने उनसे कई बार मिलने का सौभाग्य प्राप्त किया और उनका खेल के प्रति जुनून हमेशा मुझे प्रेरित करता रहा। वे देश में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के बड़े समर्थक थे। हॉकी इंडिया की ओर से हम उनकी पत्नी जेनिफर, बेटे लिएंडर और उनके पूरे परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं।"
डॉ. वेस पेस का जन्म 30 अप्रैल 1945 को गोवा में हुआ था। उन्होंने खेल और शिक्षा दोनों में ही बड़ी उपलब्धियां हासिल की थीं। वे एक डॉक्टर भी थे और कलकत्ता क्रिकेट और फुटबॉल क्लब के अध्यक्ष भी रहे। 1972 में ओलंपिक कांस्य पदक जीतने के अलावा, वे 1971 में हॉकी विश्व कप में भी ब्रॉन्ज जीतने वाली टीम के सदस्य थे।
हॉकी के अलावा, उन्होंने डिवीजनल क्रिकेट, फुटबॉल और रग्बी भी खेला। वे 1996 से 2002 तक भारतीय रग्बी फुटबॉल संघ के अध्यक्ष रहे।
लिएंडर पेस टेनिस के क्षेत्र में मिली अपनी सफलता का श्रेय अक्सर अपने पिता से मिली प्रेरणा को देते हैं।