क्या चेतन चौहान ने क्रिकेट और राजनीति दोनों में सफलता पाई?

सारांश
Key Takeaways
- चेतन चौहान ने क्रिकेट में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- उन्होंने राजनीति में भी अपनी पहचान बनाई।
- वे अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित थे।
- उनका जीवन प्रेरणा का स्रोत है।
- चौहान ने कभी शतक नहीं बनाया, फिर भी उन्हें महान माना जाता है।
नई दिल्ली, 20 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। क्रिकेट और राजनीति दो ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें सफलता पाना अत्यंत कठिन है। परंतु, कुछ विशेष लोग हैं जो इन दोनों में ही अपार सफलता प्राप्त करते हैं। ऐसा ही एक नाम है चेतन चौहान।
भारतीय क्रिकेट टीम और राजनीति में महत्वपूर्ण पहचान रखने वाले चेतन चौहान का जन्म 21 जुलाई 1947 को बरेली में हुआ।
चेतन चौहान ने बचपन से ही क्रिकेट में रुचि दिखाई और महाराष्ट्र तथा दिल्ली की टीमों के लिए घरेलू क्रिकेट खेले। उन्होंने 25 सितंबर 1969 को न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया। पहले रन के लिए उन्हें 25 मिनट का समय लगा।
चौहान एक सलामी बल्लेबाज थे और अपने करियर के दौरान अधिकांश मैचों में सुनील गावस्कर के ओपनिंग साथी रहे। उन्हें मुख्य रूप से 70 और 80 के दशक की शुरुआत में कई टेस्ट मैचों में गावस्कर के साथ याद किया जाता है। सहवाग-गंभीर की जोड़ी के आने तक, यह जोड़ी टेस्ट क्रिकेट में सबसे सफल भारतीय सलामी जोड़ी थी, जिसने दस शतकीय साझेदारियों का रिकॉर्ड बनाया।
चौहान ने गावस्कर के साथ 59 पारियों में सलामी बल्लेबाज के रूप में 3022 रन बनाए, जिसमें 10 बार शतकीय साझेदारी शामिल थी। हालांकि, चौहान अपने टेस्ट करियर में कभी भी शतक बनाने में असफल रहे।
1969 से 1981 के बीच, कई बार उन्हें टीम से बाहर किया गया, लेकिन उन्होंने घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन करके वापसी की।
उन्होंने 40 टेस्ट मैचों में 31.57 की औसत से 16 अर्धशतक2084 रन बनाए, जिसमें उनका सर्वोत्तम स्कोर 97 रन था। इसके अलावा, उन्होंने 7 वनडे में 153 रन बनाए।
1981 में, उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
क्रिकेट में सफलताएं प्राप्त करने के बाद, चेतन चौहान ने राजनीति की ओर कदम बढ़ाया। वे 1991 और 1998 में अमरोहा से सांसद रहे और 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जीते। उन्हें राज्य का युवा और खेल मंत्री बनाया गया। 16 अगस्त 2020 को उनका निधन हो गया।