क्या योगेश कथुनिया की सफलता के पीछे 'शब्द नहीं, कर्म अहम' है?

सारांश
Key Takeaways
- योगेश कथुनिया ने विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक जीता।
- उन्होंने 42.49 मीटर की दूरी तक आयरन डिस्क फेंकी।
- योगेश ने 'स्वर्ण पदक' कहने की आदत को छोड़ा।
- उनका अगला लक्ष्य एशियाई पैरा खेल हैं।
- भारत में पैरा खेलों का विकास हो रहा है।
नई दिल्ली, 1 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में योगेश कथुनिया ने रजत पदक जीता। कथुनिया ने एफ56 डिस्कस थ्रो में 42.49 मीटर की दूरी तक आयरन डिस्क फेंककर यह उपलब्धि हासिल की। यह भारत का इस चैंपियनशिप में छठा पदक था।
योगेश कथुनिया की यह सफलता उनकी लगातार मेहनत का फल है। लेकिन, इस सफलता के बाद उनके अंदर एक बड़ा बदलाव आया है। पहले, वह किसी प्रतियोगिता से पहले अपने प्रदर्शन के बारे में बात करते हुए हमेशा 'गोल्ड' का उल्लेख करते थे। लेकिन अब उन्होंने यह कहना बंद कर दिया है।
मंगलवार को रजत पदक जीतने के बाद, कथुनिया ने कहा, "मैंने यह कहना बंद कर दिया है कि मैं स्वर्ण पदक जीतूंगा। मुझे विश्वास है कि इस बदलाव से मुझे अंततः लाभ होगा।"
28 वर्षीय योगेश ने अपने परिवार और समर्थकों के सामने जीत हासिल करके खुशी जताई। उन्होंने कहा, "यहां जीतना मेरे लिए बहुत खास है, क्योंकि मैंने अपने परिवार के सामने प्रदर्शन किया है। उन्होंने हमेशा मेरा समर्थन किया है। जैसा कि मैंने पहले कहा, मैंने यह कहना बंद कर दिया है कि मैं स्वर्ण पदक जीतूंगा। इसलिए अब मुझ पर कोई दबाव नहीं था। मैंने अपने प्रदर्शन का पूरा आनंद लिया।"
योगेश ने आगे कहा, "मेरा अगला लक्ष्य जापान में होने वाले एशियाई पैरा खेल हैं। अब कार्रवाई का समय है। नतीजों का समय है। अब मैं प्रक्रिया में विश्वास करता हूँ, और अगर इस पर ध्यान दिया जाए, तो नतीजे अवश्य मिलेंगे।"
उन्होंने कहा, "भारत में पैरा खेलों और पैरा-एथलीटों ने काफी तरक्की की है। कुछ साल पहले, वित्तीय सहायता और भविष्य की संभावनाओं के मामले में कोई सुधार नहीं था। अब सब कुछ बदल गया है। खिलाड़ियों की मदद के लिए प्रायोजक आसानी से मिल जाते हैं। भविष्य वाकई उज्ज्वल है। मुझे खुशी है कि अब सब कुछ बदल रहा है।"