क्या 6 दिसंबर वो दिन है जब देश ‘पहली सुरक्षा पंक्ति’ को सलाम करता है?
सारांश
Key Takeaways
- 6 दिसंबर को नागरिक सुरक्षा और होमगार्ड स्थापना दिवस मनाया जाता है।
- यह दिन सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने का अवसर है।
- नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवी संगठनों का काम है।
- होमगार्ड आपातस्थितियों में जनता की सुरक्षा के लिए तत्पर रहते हैं।
- देश में 5.73 लाख से अधिक होमगार्ड सदस्य सक्रिय हैं।
नई दिल्ली, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। हर वर्ष 6 दिसंबर, भारत में केवल एक दिन नहीं है, बल्कि यह उन लाखों नागरिकों और सुरक्षा कर्मियों को सलाम करने का महत्वपूर्ण अवसर है, जो आपदा और संकट के समय सबसे पहले जनता की रक्षा के लिए आगे आते हैं। यह दिन नागरिक सुरक्षा दिवस और होमगार्ड स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है।
एक ओर, नागरिक सुरक्षा जागरूकता और सुरक्षा संस्कृति को सुदृढ़ बनाती है। दूसरी ओर, होमगार्ड बल हर प्रकार की आपात स्थिति में सरकार और प्रशासन का सहारा बनकर खड़ा होता है। ये दोनों संगठन स्वैच्छिक भावना और सामाजिक जिम्मेदारी की परंपरा को आगे बढ़ाते हैं, जिससे भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में नागरिक सुरक्षा का तंत्र मजबूत होता है।
हर साल 6 दिसंबर को मनाया जाने वाला नागरिक सुरक्षा दिवस इसी विचार पर आधारित है कि किसी भी आपदा या संकट में नागरिकों की पहली सुरक्षा-रेखा स्वयं नागरिक होते हैं।
नागरिक सुरक्षा एक पूर्णतः स्वैच्छिक संगठन है, जो जनता के सहयोग पर निर्भर करती है। इसलिए, सरकार और प्रशासन लगातार ऐसे कार्यक्रम आयोजित करते हैं ताकि आम लोगों में सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके।
6 दिसंबर को नागरिक सुरक्षा और होमगार्ड स्थापना दिवस मनाना इस उद्देश्य का हिस्सा है, ताकि नागरिकों के बीच सुरक्षा संस्कृति को मजबूती दी जा सके। राज्य और केंद्र सरकारें इस आयोजन के खर्च को साझा करती हैं, जो इस मिशन के राष्ट्रीय महत्व को दर्शाता है।
यदि हम होमगार्ड स्थापना दिवस की बात करें तो दिसंबर 1946 में, देश विभाजन की हिंसा और साम्प्रदायिक तनाव के दौर में पहला स्वैच्छिक बल होमगार्ड का गठन किया गया था, ताकि पुलिस की सहायता की जा सके। कुछ ही समय बाद, इसे सभी राज्यों में एकसमान स्वैच्छिक बल के रूप में स्थापित करने की सलाह दी गई।
आज, होमगार्ड आंतरिक सुरक्षा में पुलिस की मदद करती है। हवाई हमला, आग, चक्रवात, भूकंप और महामारी जैसी आपदाओं में जनता की मदद करना इनकी प्राथमिकता है। इसके अलावा, आवश्यक सेवाओं का संचालन और कमजोर वर्गों की सुरक्षा में होमगार्ड का योगदान महत्वपूर्ण है।
आंकड़ों के अनुसार, देश में 5.73 लाख से अधिक होमगार्ड सदस्य सक्रिय हैं। यह संगठन केरल को छोड़कर सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में फैला हुआ है। पंजाब, राजस्थान, गुजरात, मेघालय, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में 15 बॉर्डर विंग होमगार्ड बटालियनें तैनात हैं। इनका काम अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बीएसएफ की सहायता करना, घुसपैठियों को रोकना, और संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा करना है।
हर वर्ग और समुदाय के लोग अपनी इच्छा से होमगार्ड में शामिल होते हैं। होमगार्ड को मिलने वाली सुविधाओं में निःशुल्क वर्दी, ड्यूटी भत्ता और पुरस्कार शामिल हैं। इसके अलावा, तीन वर्ष तक सेवा देने वाले होमगार्डों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
दिसंबर में इन दोनों दिवसों का मनाया जाना इस बात का प्रतीक है कि सुरक्षा केवल पुलिस, सेना या प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह नागरिकों और स्वैच्छिक संगठनों के सामूहिक प्रयास का परिणाम है। यह दिन उन लोगों के योगदान को याद दिलाता है जो देश, समाज और मानवता की सेवा में जुटे होते हैं।