क्या एआईयूडीएफ असम विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर पाएगा?

सारांश
Key Takeaways
- एआईयूडीएफ ने विधानसभा चुनावों के लिए तैयारी तेज कर दी है।
- पार्टी के महिला, युवा और छात्र मोर्चे सक्रिय हैं।
- जनता का समर्थन जीतने की उम्मीद व्यक्त की गई है।
- भाजपा में बढ़ती आंतरिक कलह का असर चुनाव पर पड़ सकता है।
गुवाहाटी, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पूर्वोत्तर राज्य असम में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है।
इस बीच, अखिल भारतीय संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (एआईयूडीएफ) के विधायक और पार्टी महासचिव रफीकुल इस्लाम ने घोषणा की कि 2026 में असम में विधानसभा चुनाव होंगे और हम इसके लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। बूथ स्तर पर संगठनात्मक प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें हमारे महिला, छात्र और युवा मोर्चा, अभिभावक और अन्य सदस्य शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि हमारा संगठन जिला, ब्लॉक, पंचायत और बूथ स्तर पर सक्रिय है और हम मजबूती के साथ चुनावी तैयारी कर रहे हैं। हम चुनाव में अपनी पूरी ताकत लगाएंगे और सही समय पर अपनी सीटों और निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या की घोषणा करेंगे।
रफीकुल इस्लाम ने आगे कहा कि हमें विश्वास है कि जनता हमें अपना समर्थन देगी। 2006, 2011, 2016 और 2021 के पिछले चुनावों में जनता ने लगातार हमारा समर्थन किया है। हमारी पार्टी ने अब 20 साल पूरे कर लिए हैं और हर चुनाव में जनता का विश्वास प्राप्त किया है। हमें विश्वास है कि इस बार भी समर्थन और अधिक मजबूत होगा।
एआईयूडीएफ के नेता ने यह भी कहा कि बिहार में नीतीश कुमार लंबे समय से सत्ता में हैं, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। उम्र और हालात ने उनके नेतृत्व को प्रभावित किया है और अब जनता परिवर्तन की इच्छा रखती है। पिछले चुनाव में तेजस्वी यादव की पार्टी को सबसे अधिक सीटें मिली थीं, लेकिन गठबंधन के कारण नीतीश कुमार सत्ता में वापस आ गए।
उन्होंने कहा कि इस बार माहौल परिवर्तन के पक्ष में दिख रहा है और तेजस्वी यादव की स्थिति मजबूत है। बिहार, जो एक गरीब राज्य है, कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, ऐसे नेतृत्व की तलाश में है जो उनके कल्याण के लिए काम करे और प्रगति ला सके।
उन्होंने यह भी कहा कि हाल ही में असम के एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने इस्तीफा दिया है। वह एक अनुभवी नेता थे, लेकिन समय के साथ नए नेताओं ने जगह ले ली है, जिससे वरिष्ठ नेताओं के लिए स्थान कम हो गया है। उनका इस्तीफा एक महत्वपूर्ण घटना है और यह भाजपा के भीतर बढ़ती आंतरिक कलह को दर्शाता है।