क्या भाजपा को हराकर उत्तर प्रदेश को बचाना संभव है? : अखिलेश यादव

सारांश
Key Takeaways
- भाजपा के खिलाफ सपा का दबाव बढ़ रहा है।
- महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दे प्रमुख हैं।
- सपा ने चुनावी रणनीति में बदलाव किया है।
- जनता के बीच कार्यकर्ताओं की सक्रियता आवश्यक है।
- भाजपा की साजिशों से सावधान रहना होगा।
लखनऊ, 14 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि भाजपा को हराकर उत्तर प्रदेश को बचाना है।
अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के राज्य मुख्यालय में बुलंदशहर और हापुड़ जनपदों से आए नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार में लूट की चरम सीमा है। हर विभाग में भ्रष्टाचार व्याप्त है। ये लोग जिलों में सरकारी जमीनों, तालाबों और गरीबों की संपत्तियों पर कब्जा कर रहे हैं। गरीबों को न्याय नहीं मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि इस सरकार की गलत नीतियों के कारण किसान, युवा, महिलाएं और व्यापारी सभी परेशानी में हैं। आम जनमानस भाजपा के खिलाफ है। इस सरकार में पीडीए समाज का लगातार अपमान हो रहा है। यह सरकार पीडीए समाज को अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। 2027 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता समाजवादी पार्टी की सरकार बनाने को तत्पर है। विधानसभा चुनाव में भाजपा की कोई चाल नहीं चल सकेगी।
अखिलेश यादव ने कहा कि सपा के प्रत्याशी बिना सर्वे के घोषित नहीं किए जाएंगे। जीतने वाले प्रत्याशियों को ही चुनाव में उतारा जाएगा। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता जनता के बीच रहें। मतदाताओं के संपर्क में रहें। भाजपा से सावधान रहना है, क्योंकि वह वोट काटने की साजिश कर सकती है। सपा के कार्यकर्ताओं को उनके षडयंत्रों पर नजर रखनी होगी। नेताओं और कार्यकर्ताओं को बहुत मेहनत करनी होगी। वोट बनवाना, वोट बचाना, वोट पड़वाना और वोट गिनवाना सभी कार्यों में सजग रहना होगा, तभी लोकतंत्र और संविधान बचेगा।
उन्होंने कहा कि इस सरकार में महंगाई लगातार बढ़ रही है। भ्रष्टाचार पर कोई नियंत्रण नहीं है। थाना और तहसील में उगाही चल रही है। युवाओं के लिए नौकरी के अवसर समाप्त हो गए हैं। प्रदेश में न कोई पूंजी निवेश आ रहा है और न ही कोई उद्योग लग रहा है। जो बड़े-बड़े वादे किए गए थे, वे केवल हवा-हवाई साबित हो रहे हैं। कोई बड़ा उद्योगपति बिगड़ती कानून व्यवस्था को देखते हुए यहां आने को तैयार नहीं है।