क्या बरेली से पकड़ी गईं बांग्लादेशी महिलाएं 2011 से भारत में रह रही थीं?

सारांश
Key Takeaways
- बांग्लादेशी महिलाएं 2011 से भारत में रह रही थीं।
- पुलिस ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मुकदमा दर्ज किया।
- वे अपनी पहचान छिपाकर रह रही थीं।
- गुप्त सूचना के आधार पर जांच शुरू हुई।
- भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया।
बरेली, 22 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के बरेली से एक महत्वपूर्ण खबर आई है, जिसमें तीन बांग्लादेशी महिलाएं पकड़ी गईं। ये सभी बहनें अवैध रूप से भारत की सीमा में प्रवेश कर चुकी थीं। पुलिस ने इन महिलाओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।
यह घटना बरेली के प्रेम नगर थाना क्षेत्र में हुई। बांग्लादेश से आई इन बहनों ने यहाँ शादी कर ली थी और वे 2011 से यहाँ निवास कर रही थीं। इन तीनों ने कुवैत स्थित भारतीय दूतावास से फर्जी दस्तावेज बनवाए थे। पुलिस की गुप्त जांच में यह फर्जीवाड़ा उजागर हुआ। उन्होंने जाली दस्तावेजों के माध्यम से पहचान पत्र बनाए थे और कई देशों की यात्राएं की थीं, जिसमें बांग्लादेश, दुबई और कुवैत शामिल हैं।
इन बांग्लादेशी महिलाओं के नाम मुनारा बी, सायरा बानो और तसलीमा हैं।
पुलिस की तहरीर के अनुसार, मुनारा की संदिग्ध गतिविधियों के बारे में सूचना मिली थी। जांच में पता चला कि वह बांग्लादेश की निवासी है और उसका स्थायी पता ग्राम शौकरी, थाना बैनापुलपोर्ट, जिला जस्सोर खुलना, बांग्लादेश है। उसने अवैध तरीके से भारत में प्रवेश किया और फर्जी माता-पिता का नाम दर्शाकर पहचान पत्र और 2011 में भारतीय पासपोर्ट बनवाया। एक साल बाद, 2012 में उसने सायरा बानो के नाम से एक और भारतीय पासपोर्ट बनवाया, जिसमें मुनारा की फोटो थी।
गुप्त जानकारी से यह स्पष्ट हुआ कि मुनारा के इस कार्य में उसकी दो बहनें, सायरा बानो और तसलीमा, ने पूरा सहयोग किया। तसलीमा ने भी इसी प्रकार से भारत में प्रवेश किया। तीनों बहनें अपनी बांग्लादेशी पहचान को छिपाकर बरेली में रह रही थीं। इस मामले में पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 419, 420, 467, 468, 471, धारा 12 (1ए) (बी) पासपोर्ट अधिनियम 1967, धारा 14ए (बी) व धारा 14 विदेशी अधिनियम 1946, धारा 35 आधार अधिनियम 2016 के तहत केस दर्ज किया है।