क्या भारत और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाओं ने जटिल समुद्री अभ्यास किया?
सारांश
Key Takeaways
- भारत और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाओं के बीच सामरिक तालमेल।
- आईएनएस सह्याद्री की परिचालन दक्षता का प्रदर्शन।
- समुद्री सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने की सामरिक प्रतिबद्धता।
- द्विपक्षीय नौसैनिक सहयोग की मजबूती।
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता के लिए साझा प्रयास।
नई दिल्ली, २३ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय नौसेना का युद्धपोत आईएनएस सह्याद्री ने ऑस्ट्रेलियाई रॉयल नेवी के साथ द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास ऑसइंडेक्स-२०२५ में हिस्सा लिया। आईएनएस सह्याद्री एक स्वदेशी रूप से निर्मित स्टेल्थ युद्धपोत है। इस अभ्यास का आयोजन उत्तरी प्रशांत क्षेत्र में हुआ।
भारत और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाओं ने इस दौरान अपने युद्धपोतों और विमानों के साथ मिलकर जटिल और गहन समुद्री अभियानों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
भारतीय नौसेना के अनुसार, अभ्यास के दौरान दोनों देशों की नौसेनाओं ने कई उन्नत नौसैनिक कौशल पर आधारित ड्रिल्स का अभ्यास किया। इनमें सतही युद्धक अभियान, पनडुब्बी-रोधी संचालन, समुद्री निगरानी और हवाई-समुद्री समन्वय शामिल थे। इसके अतिरिक्त, सामरिक युद्धाभ्यास, लक्ष्य साधन, संचार प्रक्रियाएं और सीमैनशिप से जुड़े महत्वपूर्ण सैन्य अभ्यास भी किए गए। आईएनएस सह्याद्री ने अपनी परिचालन दक्षता और बहु-आयामी युद्धक क्षमता का प्रभावी प्रदर्शन किया।
ऑसइंडेक्स-२०२५ का मुख्य उद्देश्य दोनों नौसेनाओं के बीच इंटरऑपरेबिलिटी, सामरिक तालमेल, समुद्री सहयोग और मिशन-उन्मुख संचालन क्षमता को बढ़ाना है। यह अभ्यास भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों को और मजबूत करता है।
इस अभ्यास ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था के प्रति दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को भी उजागर किया है। समुद्री सुरक्षा चुनौतियों, क्षेत्रीय स्थिरता तथा मुक्त और खुले इंडो-पैसिफिक की दृष्टि से यह अभ्यास अत्यंत महत्वपूर्ण है। दोनों नौसेनाओं की सहभागिता न केवल पेशेवर कौशल का आदान-प्रदान करती है, बल्कि विश्वास और सामरिक साझेदारी को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाती है।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ऑसइंडेक्स-२०२५ ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों देश क्षेत्रीय समुद्री चुनौतियों का सामना करने और सहयोग आधारित सुरक्षा ढांचे को सुदृढ़ करने के लिए सामरिक रूप से प्रतिबद्ध हैं। यह अभ्यास द्विपक्षीय नौसैनिक सहयोग का महत्वपूर्ण उदाहरण है, जो दोनों देशों के बीच समुद्री साझेदारी, पेशेवर तालमेल और रणनीतिक विश्वास को और गहरा करता है। यह अभ्यास दोनों राष्ट्रों की साझा प्रतिबद्धता और समन्वित प्रतिक्रिया क्षमता को मजबूत रूप से प्रदर्शित करता है।