क्या बिहार में लोगों को सुरक्षा देने में एनडीए सरकार ने निराश किया?

सारांश
Key Takeaways
- गोपाल खेमका का हत्या बिहार में सुरक्षा की चिंता का विषय है।
- राजेश राम ने सरकार पर आरोप लगाया कि वे कानून व्यवस्था में विफल हैं।
- पुलिस की कर्तव्यहीनता पर सवाल उठाए गए हैं।
- आम जनता को सुरक्षा देने में सरकार ने निराशा दिखाई है।
- नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की मांग की गई है।
पटना, 5 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार की राजधानी पटना के सर्वाधिक पॉश इलाके गांधी मैदान में उद्योगपति गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या के बाद एक बार फिर राज्य की कानून व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न उठने लगे हैं। बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश राम ने सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने वर्तमान स्थिति को महा-गुंडाराज करार दिया।
राजेश राम ने पटना में संवाददाताओं से कहा कि गोपाल खेमका के परिवार के लोग अब भी डरे और सहमे हुए हैं। उन्होंने कहा कि उद्योगपति और व्यवसायियों की बात छोड़िए, आम जनता को सुरक्षा देने में भी नीतीश सरकार नाकाम रही है।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने यह भी कहा कि जो व्यवसायी जीएसटी का भुगतान करते हैं और बिहार के विकास में योगदान देते हैं, उनकी हत्या राज्य के लिए काले धब्बे के समान है। उन्होंने आरोप लगाया कि गोपाल खेमका के शव के पोस्टमार्टम में भी असंवेदनशीलता देखने को मिली। यदि आज बिहार में उद्योग-धंधे नहीं आ रहे हैं, तो इसका प्रमुख कारण कानून-व्यवस्था है। अभी गोपाल खेमका की हत्या हुई है। कुछ साल पहले उनके पुत्र की हत्या भी हुई थी, जिसका अब तक खुलासा नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस की कर्तव्यहीनता को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने असंवेदनशील और कर्तव्यहीन पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त करने की मांग की।
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार कानून-व्यवस्था को लेकर जागरूक नहीं होती है तो ईंट से ईंट बजा दिया जाएगा। लोगों को सुरक्षा देने में एनडीए सरकार ने निराश किया है। जिस प्रकार मुख्यमंत्री बीमार हैं, उनका सिस्टम भी बीमार हो चुका है। नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना चाहिए। बिहार को चलाने वाले लोगों से भी उन्हें बचना चाहिए।