क्या चीन में गूंजा भारत का आयुर्वेदिक संदेश, 'लोगों और ग्रह के लिए आयुर्वेद'?

सारांश
Key Takeaways
- आयुर्वेद का संदेश केवल स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवनशैली को भी प्रभावित करता है।
- चीन में आयुर्वेद की बढ़ती लोकप्रियता दर्शाती है कि यह वैश्विक ध्यान आकर्षित कर रहा है।
- आयुर्वेद प्राकृतिक उपचारों और संतुलित आहार पर जोर देता है।
- आयुर्वेदिक सिद्धांतों का पालन करके व्यक्ति तनावमुक्त जीवन जी सकता है।
- यह आयोजन ज्ञान और परंपरा के आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है।
बीजिंग, २५ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। चीन की राजधानी पेइचिंग में भारतीय दूतावास ने बुधवार, २३ सितंबर को १०वां आयुर्वेद दिवस धूमधाम से मनाया। यह अवसर सिर्फ भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति की याद दिलाने के लिए नहीं था, बल्कि इसका मुख्य उद्देश्य विश्व को यह संदेश देना भी था कि आयुर्वेद न केवल व्यक्तियों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि सम्पूर्ण ग्रह के कल्याण के लिए भी अत्यावश्यक है। इस वर्ष आयुर्वेद दिवस की थीम रखी गई– 'लोगों और ग्रह के लिए आयुर्वेद।'
आयोजन का शुभारंभ चीन में भारत के राजदूत प्रदीप कुमार रावत के स्वागत भाषण से हुआ। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आयुर्वेद जीवन जीने का एक ऐसा दर्शन है, जो न केवल मनुष्य को रोगमुक्त करता है, बल्कि उसे प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने की भी शिक्षा देता है। उनके अनुसार, आयुर्वेद केवल दवाओं या उपचारों की पद्धति नहीं है, बल्कि यह एक समग्र जीवनशैली और सोच का दृष्टिकोण है, जो आज की तेज़ रफ्तार और तनावपूर्ण जीवन में पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक बन गया है।
इस कार्यक्रम में आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. सी.के. मोहम्मद शफ़ीक ने 'आयुर्वेद फॉर वेलनेस' विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि आयुर्वेदिक सिद्धांत कैसे शरीर, मन और आत्मा को संतुलित रखते हैं। उनका मानना है कि प्राकृतिक औषधियों, संतुलित आहार और नियमित दिनचर्या के माध्यम से स्वास्थ्य को स्थायी और गहन रूप से बेहतर किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि आज जब प्रदूषण, मानसिक तनाव और असंतुलित भोजन की समस्याएं बढ़ रही हैं, तब आयुर्वेद एक व्यवहारिक और सुलभ समाधान प्रस्तुत करता है।
आयुर्वेद दिवस समारोह में कई आकर्षक गतिविधियाँ भी आयोजित की गईं। पारंपरिक हर्बल उत्पादों की प्रदर्शनी ने लोगों का ध्यान खींचा, वहीं स्वास्थ्य परामर्श केंद्रों पर प्रतिभागियों ने अनुभवी चिकित्सकों से अपनी समस्याओं पर चर्चा की और प्राकृतिक उपचारों के बारे में सीखा। इसके अलावा, आयुर्वेदिक सिद्धांतों पर आधारित सात्विक और पौष्टिक भोजन के स्टॉल ने आगंतुकों को स्वस्थ खानपान की महत्ता का अनुभव कराया। योग और आयुर्वेद से जुड़े अन्य स्टॉलों ने भी लोगों को भारतीय परंपराओं और समग्र जीवनशैली की झलक दी।
यह आयोजन केवल एक सांस्कृतिक परिचय तक सीमित नहीं था, बल्कि इसने दोनों देशों के बीच ज्ञान और परंपरा के आदान-प्रदान को भी मज़बूत किया। चीन में भारतीय दूतावास लगातार ऐसे कार्यक्रम आयोजित करता रहा है, जिसका उद्देश्य है कि चीनी जनता को भारत की परंपराओं और विशेष रूप से आयुर्वेद की गहराई से जानकारी मिल सके। इस बार भी आयोजन ने साबित किया कि आयुर्वेद केवल भारत की धरोहर नहीं है, बल्कि यह सम्पूर्ण विश्व के लिए एक विशेष उपहार है।
कार्यक्रम के दौरान उपस्थित लोगों ने महसूस किया कि आयुर्वेद केवल बीमारी के इलाज तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन को संतुलित और सार्थक बनाने का विज्ञान है। यह एक ओर व्यक्ति को तनावमुक्त और स्वस्थ जीवन जीने का मार्ग दिखाता है, तो दूसरी ओर यह पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के साथ सहजीवन का संदेश भी देता है। यही कारण है कि इस वर्ष की थीम 'लोगों और ग्रह के लिए आयुर्वेद' विशेष महत्व रखती है।
पेइचिंग में हुए इस समारोह ने यह स्पष्ट कर दिया कि आयुर्वेद की पहुँच सीमाओं से परे जा चुकी है। चाहे वह चीन हो या अन्य देश, लोग अब इस प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणाली को अपनाने और समझने के लिए उत्सुक हैं। यह न केवल भारत की सॉफ्ट पावर को मज़बूत करता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के लिए नए अवसर भी खोलता है।
(अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप, बीजिंग)