क्या बिहार चुनाव में कांग्रेस की हार पर हुसैन दलवई ने आत्मचिंतन की आवश्यकता बताई?
सारांश
Key Takeaways
- कांग्रेस को एकजुट रहना चाहिए।
- महागठबंधन का महत्व समझना होगा।
- संगठन की कमजोरी पर विचार करना आवश्यक है।
- परिवारवाद के नुकसान को समझना होगा।
- आरएसएस के विरोध का ध्यान रखना चाहिए।
मुंबई, १७ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव के संदर्भ में कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने कहा कि एक ही परिवार के माध्यम से राजनीति करना गलत है। केवल तेजस्वी यादव को आगे लाना उचित नहीं था। कांग्रेस के पास राहुल गांधी के साथ-साथ मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे कई अन्य नेता भी थे, परंतु सामने केवल तेजस्वी यादव ही दिखते थे। इस पर उन्हें भी विचार करना चाहिए। उन्होंने लालूविरोधी इसका लाभ उठाते हैं।
कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि हिंसा के लिए बम कांड होना आवश्यक नहीं है। अंदरूनी आतंकवाद भी होता है, यही बात पी. चिदंबरम ने भी कही है। वे पढ़े-लिखे हैं, उनके पास काफी अनुभव है और वे देश के गृह मंत्री रह चुके हैं।
हुसैन दलवई ने बिहार चुनाव में कांग्रेस को मिली हार पर कहा कि हमें आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है। संगठन कमजोर क्यों हुआ? इसके पीछे के कारण क्या हैं? राहुल गांधी इतनी जगहों पर गए, लेकिन इसके बावजूद संगठन मजबूत नहीं हो रहा है। ऐसा क्यों हो रहा है? इस पर चर्चा करना आवश्यक है। बिहार में कांग्रेस पहले से ही कमजोर है।
उन्होंने कहा कि बिहार को अच्छे से जानने वाले मोहन प्रकाश को किनारे कर दिया गया और यह चुनाव के समय किया गया, जो कि गलत था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का नेतृत्व सबसे अच्छा है, लेकिन जमीनी स्तर की जानकारी जुटाना भी आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि हमें अभी अलग नहीं होना चाहिए। हमें अभी भी महागठबंधन में रहना चाहिए। भाजपा के खिलाफ सबको इकट्ठा होना जरूरी है। इसमें कांग्रेस का होना भी आवश्यक है। शिवसेना और मनसे साथ आए हैं, लेकिन कांग्रेस के साथ सम्मानपूर्वक चर्चा करनी चाहिए।
हुसैन दलवई ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि आज जिस तरह बुलडोजर की नीति चल रही है, लोगों के साथ मारपीट हो रही है, और अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाह का विरोध भी आरएसएस की वजह से हो रहा है।