दिल्ली ब्लास्ट पर कांग्रेस नेताओं ने सवाल उठाया, भाजपा के कार्यकाल में क्यों बढ़ती हैं ऐसी घटनाएं?
सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली ब्लास्ट पर उठे सवाल सुरक्षा व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- कांग्रेस नेताओं ने भाजपा से जवाब मांगते हुए सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका पर सवाल उठाया।
- आतंकवादी घटनाएं भाजपा के कार्यकाल में क्यों बढ़ती हैं, यह चिंता का विषय है।
- आत्मरक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है।
- राजनीतिक दबाव के तहत संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है।
नई दिल्ली, १३ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली ब्लास्ट को लेकर विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया है और सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका पर प्रश्न उठाए हैं। कांग्रेस नेता उदित राज ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, "मुद्दे से भटकने की कोशिश मत कीजिए। यदि आतंकवादी हैं, तो उनके संबंध बाहरी आतंकवादी संगठनों से हैं। यह सरकार ने स्वयं मान लिया है। सवाल यह है कि ऐसी घटनाएं बार-बार इनके कार्यकाल में ही क्यों होती हैं? इसका जवाब दीजिए।"
उदित राज ने कहा, "देश में कई बड़े आतंकी हमले भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुए हैं। उरी, पहलगाम, पुलवामा, और अब लाल किला धमाका। आखिर आतंकवादी गतिविधियां तब ही क्यों बढ़ जाती हैं, जब भाजपा सत्ता में होती है?"
कांग्रेस नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने भी केंद्र की एजेंसियों पर हमला किया और कहा, "जिस गाड़ी में विस्फोटक भरा था, वह दिल्ली तक कैसे पहुंची? एजेंसियां क्या कर रही थीं? यह पहली बार नहीं हुआ है। पहलगाम में भी आतंकी आए, आतंक फैलाया और चार घंटे में पाकिस्तान लौट गए। यह हमारी खुफिया व्यवस्था की नाकामी है।"
उन्होंने कहा, "उस वक्त सेना ने 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाया था। लेकिन, सीजफायर किसने घोषित किया? डोनाल्ड ट्रंप ने। यह दुनिया के लिए शर्मनाक संदेश है कि हमारे देश में आतंकवादी हमला हुआ और युद्धविराम की घोषणा अमेरिका का राष्ट्रपति करता है। हमारी सेना ने सीजफायर किया होता तो यह देश की ताकत दिखाता, लेकिन अब तो विदेशी राष्ट्रपति हमारी नीतियां तय कर रहे हैं। ऊपर से वही अमेरिका भारत पर टैरिफ भी लगाता है।"
सिद्दीकी ने बिहार चुनाव को लेकर जारी एग्जिट पोल पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा, "शुक्रवार को नतीजे आने वाले हैं और एग्जिट पोल में एनडीए को बहुमत दिखाया गया है। लेकिन, यह सब केवल दिल बहलाने के लिए किया गया है, हकीकत कुछ और ही है। जनता ने बदलाव के लिए वोट किया है।"
इसके साथ ही उन्होंने १२ राज्यों में चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई एसआईआर प्रक्रिया पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि यह संवैधानिक अधिकारों को छीनने की कोशिश है। एसआईआर का इस्तेमाल राजनीतिक दबाव बनाने के लिए किया जा रहा है।