क्या गुरुवार को केले के पत्ते की पूजा करने से समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है?
सारांश
Key Takeaways
- गुरुवार को केले के पत्ते की पूजा का विशेष महत्व है।
- इस दिन व्रत रखने से धन और समृद्धि मिलती है।
- पीले वस्त्र पहनना और पीले फल-फूल का दान करना चाहिए।
- भगवान विष्णु को हल्दी चढ़ाने से मनोकामना पूरी होती है।
- गुरुवार के दिन दान करने से पुण्य प्राप्त होता है।
नई दिल्ली, 12 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मार्गशीर्ष माह की नवमी तिथि गुरुवार को आडल योग का संयोग बन रहा है। इस दिन सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा सिंह में स्थित रहेगा।
द्रिक पंचांग के अनुसार, गुरुवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। राहुकाल का समय दोपहर 1 बजकर 26 मिनट से 2 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। इस तिथि पर कोई विशेष पर्व नहीं है, लेकिन आप गुरुवार को व्रत रख सकते हैं।
ज्योतिष शास्त्र में आडल योग को अशुभ माना जाता है, जिसमें शुभ कार्य करना वर्जित होता है। ऐसे में बचने के लिए धर्मशास्त्रों में सूर्य पुत्र की पूजा करने की विधि बताई गई है, जिससे उनकी कृपा बनी रहती है और दुष्प्रभाव समाप्त होते हैं।
गुरुवार व्रत का उल्लेख अग्नि पुराण में मिलता है, जिसमें बताया गया है कि इस दिन श्री हरि ने काशी में शिवलिंग की स्थापना की थी। इस कारण इस दिन विधि-विधान से पूजा करने और व्रत रखने का महत्व बढ़ जाता है।
धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि गुरुवार के दिन व्रत रखने से धन, समृद्धि, संतान और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
मान्यता है कि जो जातक इस दिन व्रत रखते हैं, उन्हें पीले वस्त्र धारण करने चाहिए और पीले फल-फूलों का दान करना चाहिए। ऐसा करने से लाभ होता है। भगवान विष्णु को हल्दी चढ़ाने से मनोकामना पूरी होती है और पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
गुरुवार के दिन किसी गरीब या जरूरतमंद को अन्न और धन का दान करने से भी पुण्य मिलता है। मान्यता है कि केले के पत्ते में भगवान विष्णु का वास होता है। इसी कारण गुरुवार के दिन केले के पत्ते की पूजा की जाती है।
इस व्रत को किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से शुरू किया जा सकता है और 16 गुरुवार तक व्रत रखकर उद्यापन कर दिया जाता है।