क्या हर तुलसी का अपना महत्व है? राम, श्याम, कपूर या वन- आपके घर में कौन सी है?

सारांश
Key Takeaways
- तुलसी का महत्व परंपरा, आस्था और स्वास्थ्य में निहित है।
- हर प्रकार की तुलसी के अपने विशेष स्वास्थ्य लाभ हैं।
- वैज्ञानिक अध्ययन तुलसी के अनेक औषधीय गुणों की पुष्टि करते हैं।
- आयुर्वेद में तुलसी का विशेष स्थान है।
- दक्षिण-पूर्व एशिया की देवना तुलसी भी महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, 20 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। घर के आंगन में मौजूद तुलसी केवल एक पौधा नहीं है, बल्कि यह परंपरा, आस्था और स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण संगम मानी जाती है। हर प्रकार की तुलसी की अपनी विशेष पहचान होती है। कहीं यह धार्मिक अनुष्ठानों का केंद्र होती है, तो कहीं यह औषधीय खजाने का स्रोत बनती है। यह महत्वपूर्ण है कि केवल राम और श्याम ही नहीं, बल्कि तुलसी की कई अन्य किस्में भी हैं, जिनमें कपूर और वन तुलसी भी शामिल हैं। तुलसी अपनी अनूठी सुगंध और औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है।
तुलसी सिर्फ पूजा में पवित्र नहीं मानी जाती, बल्कि इसके अनेक स्वास्थ्य लाभ भी हैं। वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, तुलसी में कई गुण होते हैं जो मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी माने जाते हैं। आयुर्वेद में इसे बहुत महत्व दिया गया है क्योंकि यह अनेक बीमारियों के उपचार में सहायक होती है। वैज्ञानिक अध्ययनों से ज्ञात हुआ है कि तुलसी तनाव कम करने, बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने, सूजन घटाने, हृदय को स्वस्थ रखने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करती है।
अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, शोधकर्ताओं ने 24 ऐसे अध्ययनों का विश्लेषण किया है जिनमें तुलसी के सेवन से स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिले हैं। ये अध्ययन गूगल स्कॉलर, पबमेड, मेडलाइन जैसे डेटाबेस और किताबों, शोध पत्रों व सम्मेलनों से प्राप्त किए गए हैं। इनमें पाया गया कि तुलसी डायबिटीज, हृदय रोग, तनाव और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में सहायक होती है। खास बात यह है कि किसी भी अध्ययन में तुलसी के उपयोग से कोई गंभीर हानि नहीं देखी गई।
भारत में चार पवित्र तुलसी की किस्में पाई जाती हैं, और इनकी अपनी खासियत है। राम, श्याम, कपूर और वन अपनी अनूठी सुगंध और औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध हैं। इसके अलावा, दक्षिण-पूर्व एशिया की देवना या थाई तुलसी भी अपने स्वाद और औषधीय महत्व के लिए लोकप्रिय है। औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी शरीर की कई समस्याओं को दूर करने में सहायक है।
हरी पत्तियों और मीठी सुगंध वाली राम तुलसी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है और खांसी-सर्दी में राहत देती है। यह आयुर्वेद में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। वहीं, कृष्ण तुलसी, जिसे श्यामा तुलसी भी कहते हैं, बैंगनी पत्तों और तीव्र सुगंध वाली होती है, जो गले के संक्रमण, त्वचा रोगों और सूजन के इलाज में प्रभावी है। इसका गर्म प्रभाव शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।
हिमालयी क्षेत्र में पाई जाने वाली वन तुलसी को जंगली तुलसी भी कहा जाता है, जो एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है। आयुर्वेदिक टॉनिक में इसका उपयोग ऊर्जा और जीवन शक्ति बढ़ाने के लिए किया जाता है। कपूर तुलसी की सुगंध प्राकृतिक मच्छर भगाने में सहायक होती है। यह हवा को शुद्ध करती है और श्वसन स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है।
दक्षिण-पूर्व एशिया में पाई जाने वाली देवना तुलसी अपने तीखे, ऐनीज और स्वाद के लिए जानी जाती है। छोटी, नुकीली पत्तियों और बैंगनी-गुलाबी फूलों वाली यह तुलसी थाई, वियतनामी और कम्बोडियन व्यंजनों में खूब प्रयोग की जाती है। इसे 'अमेरिकन बेसिल' या 'नागबोय' के नाम से भी जाना जाता है।