क्या इजरायल को अमेरिका पर भरोसा है, सऊदी अरब के एफ-35 सौदे के बीच?
सारांश
Key Takeaways
- इजरायल को अमेरिका से आधुनिक हथियारों तक विशेष पहुंच की उम्मीद है।
- सऊदी अरब के साथ एफ-35 डील से क्षेत्रीय समीकरण बदल सकते हैं।
- इजरायल और सऊदी अरब के बीच औपचारिक संबंध अभी तक नहीं बने हैं।
- अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस डील की घोषणा की है।
- इजरायल के लिए यह एक महत्वपूर्ण सुरक्षा मुद्दा है।
यरूशलम, 21 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका ने सऊदी अरब को एफ-35 लड़ाकू विमान बेचने की योजना बनाई है, जिस पर इजरायल ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इजरायल का कहना है कि उसे विश्वास है कि वाशिंगटन उसे भविष्य में भी आधुनिक अमेरिकी हथियारों तक विशेष पहुंच प्रदान करता रहेगा।
सिन्हुआ न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल इस समय मध्य पूर्व का एकमात्र ऐसा देश है, जो एडवांस्ड स्टेल्थ एयरक्राफ्ट का संचालन कर रहा है। अमेरिकी कानून के अनुसार, क्षेत्र में किसी भी देश को ऐसे हथियार तभी सौंपे जा सकते हैं जब इससे इजरायल की सैन्य बढ़त पर असर न पड़े।
इजरायली प्रवक्ता शोश बेड्रोसियन ने कहा, “अमेरिका और इजरायल के बीच यह समझ लंबे समय से बनी हुई है कि रक्षा के मामले में इजरायल की गुणवत्ता-आधारित बढ़त बनी रहनी चाहिए। यह कल भी सत्य था, आज भी सत्य है और भविष्य में भी रहेगा।”
यह इजरायली सरकार की ओर से पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को व्हाइट हाउस में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ बैठक के दौरान इस सौदे की घोषणा की थी। प्रस्तावित सौदे में 48 एफ-35 विमान शामिल हैं। पिछले अमेरिकी प्रशासन ने ऐसे सौदों में झिझक दिखाई थी, लेकिन अब यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है।
सऊदी अरब के साथ इस सौदे से स्थिति में बदलाव आ रहा है। जब ट्रम्प से इस बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि इजरायल को इस सौदे की जानकारी पहले से थी। सऊदी अरब और इजरायल दोनों ही अमेरिका के अच्छे मित्र हैं।
इजरायल और सऊदी अरब के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध अभी तक स्थापित नहीं हुए हैं। वाशिंगटन यात्रा के दौरान सऊदी क्राउन प्रिंस ने कहा कि उनका देश इजरायल के साथ संबंध सामान्य करना चाहता है, लेकिन इसके लिए उन्हें दो-राष्ट्र समाधान की स्पष्ट दिशा चाहिए, जिसमें फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता शामिल हो।
हालांकि, नेतन्याहू और उनकी दक्षिणपंथी सरकार फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना के खिलाफ हैं।