क्या मां नैना देवी के दरबार में श्रद्धा का सैलाब उमड़ा? नवरात्रि में पहुंचे 3 लाख से ज्यादा भक्त

सारांश
Key Takeaways
- 3.50 लाख श्रद्धालुओं ने नवरात्रि पर्व में भाग लिया।
- विशेष व्यवस्थाओं के तहत सुरक्षा और चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध थीं।
- विजयादशमी के अवसर पर भव्य समारोह आयोजित हुआ।
- अखंड दुर्गा पाठ और भंडारे से श्रद्धालुओं का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
- माता के दर्शन से श्रद्धालुओं को संतोष और शांति मिली।
बिलासपुर, 2 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री नैना देवी में इस वर्ष शारदीय नवरात्रि पर्व का आयोजन अत्यधिक श्रद्धा, भक्ति और आनंद के साथ किया गया। विजयादशमी के पावन अवसर पर पूर्ण आहुतियों के साथ नवरात्रि का विधिवत समापन हुआ। नौ दिनों तक चले इस धार्मिक अनुष्ठान में देशभर से श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या देखने को मिली।
अनुमान के अनुसार, इस बार नवरात्रि के दौरान लगभग 3.50 लाख श्रद्धालु माता नैना देवी के दरबार में हाजिरी देने पहुंचे। भक्तों ने माता के चरणों में हाजिरी लगाकर अपने परिवार की सुख-समृद्धि और मंगल की कामना की। विजयादशमी के दिन भी मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली। भक्तों ने पूजन, हवन, यज्ञ और दुर्गा पाठ में भाग लिया और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए माता से आशीर्वाद प्राप्त किया।
हिमाचल प्रदेश सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, इस बार के नवरात्रि में जिला प्रशासन और मंदिर न्यास द्वारा विशेष व्यवस्था की गई थी। सुरक्षा व्यवस्था, दर्शन प्रणाली, चिकित्सा सेवाएं, पेयजल और अन्य मूलभूत सुविधाओं का कुशल प्रबंधन किया गया। श्रद्धालुओं ने आराम से लाइनों में खड़े होकर माता के दर्शन किए, जिससे उन्हें किसी प्रकार की असुविधा नहीं हुई।
इस बार भी नवरात्रि मेला मंदिर न्यास के अध्यक्ष एवं एसडीएम धर्मपाल की अगुवाई में सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। उनके नेतृत्व में मंदिर प्रबंधन ने पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ श्रद्धालुओं की सेवा की।
पुजारी वर्ग और मंदिर ट्रस्ट ने श्रद्धालुओं और विश्व कल्याण के लिए पिछले दस दिनों तक अखंड दुर्गा पाठ का आयोजन किया, जिसका गुरुवार को विधिपूर्वक समापन हुआ। इस पावन अवसर पर विशाल भंडारे का आयोजन भी किया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद रूपी भोजन ग्रहण किया।
इस बार का शारदीय नवरात्रि उत्सव श्री नैना देवी धाम में बेहद श्रद्धा और व्यवस्था के साथ संपन्न हुआ। श्रद्धालु माता के दर्शन कर संतोष, शांति और प्रसन्नता के साथ अपने घरों को लौटे।