क्या अफगान विदेश मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिलाओं की 'नो-एंट्री' के दावे सच हैं?

सारांश
Key Takeaways
- महिलाओं की नो-एंट्री के दावे को प्रोपेगेंडा बताया गया।
- मौलाना मदनी ने अफगानिस्तान के साथ ऐतिहासिक संबंध की चर्चा की।
- उन्होंने कहा कि महिलाओं को आने से नहीं रोका गया था।
सहारनपुर, 11 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों की 'नो-एंट्री' के दावों को प्रोपेगेंडा बताया है। मदनी ने स्पष्ट किया कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिलाओं के आने पर कोई मनाही नहीं थी।
मौलाना अरशद मदनी ने अफगान विदेश मंत्री से मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि महिलाओं की शिक्षा को लेकर हमारे बीच कोई चर्चा नहीं हुई।
महिला पत्रकारों की 'नो-एंट्री' को लेकर विवाद पर उन्होंने कहा, "यह पूरी तरह से गलत है। यह प्रोपेगेंडा है। यह संयोग है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में केवल पुरुष थे, लेकिन महिलाओं को आने से नहीं रोका गया था।"
आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात के बारे में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख ने कहा, "अफगानिस्तान के साथ हमारे ऐतिहासिक संबंध हैं। वहाँ से कई लोग यहाँ आए हैं और यहाँ से भी कई लोग वहाँ गए हैं।"
मौलाना मदनी ने कहा, "मैंने उनसे (आमिर खान मुत्ताकी) कहा कि जिस तरह आपने बड़ी शक्तियों को हराकर अपना शासन स्थापित किया, वह आपने भारत से सीखा है और उन्होंने इससे इनकार नहीं किया। हमने उनका स्वागत किया और कहा कि आपको हमारा संदेश अपने साथ ले जाना चाहिए। मैंने उनसे कहा कि यह मुलाकात दर्शाती है कि भारत के मुसलमानों और दारुल उलूम देवबंद के आपके साथ कितने गहरे रिश्ते हैं।"
मौलाना अरशद मदनी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "मैंने उनसे कहा कि आपसे हमारा रिश्ता सिर्फ अकादमिक ही नहीं, बल्कि भारत की आजादी से भी जुड़ा है। हमारे पूर्वजों ने आजादी की लड़ाई के लिए अफगानिस्तान की धरती को चुना था। जब हमने ब्रिटेन को हराया था, तब आपने (अफगानिस्तान) हमसे यह सीखा था कि यह कैसे किया जाता है।"