क्या नागालैंड में ईडी की कार्रवाई ने मानव बाल निर्यात के जरिए विदेशी धन की धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया?
सारांश
Key Takeaways
- ईडी की कार्रवाई ने विदेशी धन की धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया।
- लीमा इमसोंग की कंपनी पर गंभीर आरोप हैं।
- मानव बाल निर्यात के नाम पर अवैध धन का लेन-देन हुआ।
- नागालैंड में वित्तीय सुरक्षा को लेकर सख्ती बढ़ रही है।
- छापेमारी के दौरान महत्वपूर्ण सबूत बरामद हुए।
दीमापुर, 5 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। नागालैंड के दीमापुर में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत एक महत्वपूर्ण कार्रवाई की।
यह छापेमारी लीमा इमसोंग और उनके सहयोगियों के खिलाफ चल रही जांच का हिस्सा है। कुल सात परिसरों पर दबिश दी गई, जिसमें दीमापुर के दो, गुवाहाटी के दो और चेन्नई के तीन स्थान शामिल हैं। ईडी अधिकारियों ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए और कई महत्वपूर्ण सुराग प्राप्त किए। जांच अभी भी सक्रिय है, और इससे एक बड़े वित्तीय घोटाले का खुलासा हो रहा है।
ईडी की जांच के फोकस में लीमा इमसोंग की स्वामित्व वाली कंपनी मेसर्स इमसोंग ग्लोबल सप्लायर्स है। सूत्रों के अनुसार, इस कंपनी ने मानव बाल के निर्यात के बहाने विदेश से भारी मात्रा में धन प्राप्त किया। दीमापुर जैसे क्षेत्र में यह व्यापार असामान्य और व्यावसायिक दृष्टि से अव्यावहारिक माना जा रहा है। जांच में यह भी पाया गया कि कंपनी ने निर्धारित समय सीमा के अंदर आवश्यक दस्तावेज जैसे शिपिंग बिल और निर्यात चालान प्रस्तुत नहीं किए। यह लापरवाही फेमा के प्रावधानों और भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशों का उल्लंघन है।
इसके अतिरिक्त, कंपनी के बैंक खाते में प्राप्त विदेशी धन को मेसर्स इनकेमइंडिया प्राइवेट लिमिटेड नामक एक अन्य कंपनी में हस्तांतरित किया गया है। यह कंपनी भी लीमा इमसोंग के नियंत्रण में है। दिलचस्प बात यह है कि यह कंपनी पहले निष्क्रिय थी और केवल तभी सक्रिय हुई जब विदेशी धन आना शुरू हुआ। इस अवधि में कंपनी ने घाटा घोषित किया, जो इसे एक कागजी संस्था साबित करता है। ईडी अधिकारियों ने बताया कि यह धन श्री लीमा इमसोंग और उनके परिवार के व्यक्तिगत खातों में भी ट्रांसफर किया गया।
चेन्नई में मेसर्स इनकेमइंडिया प्राइवेट लिमिटेड के खाते से बड़ी राशि मेसर्स इमसोंग ग्लोबल ट्रेडिंग कंपनी के माध्यम से विभिन्न संदिग्ध संस्थाओं में भेजी गई है। ये संस्थाएं चेन्नई में मानव बाल के व्यापार में लगी हुई हैं और ईडी ने इन्हें भी अपने दायरे में लिया है। छापेमारी के दौरान इन संस्थाओं से संबंधित दस्तावेज और बैंक स्टेटमेंट जब्त किए गए। ईडी का संदेह है कि यह पूरा नेटवर्क धन शोधन और विदेशी मुद्रा के अवैध उपयोग के लिए बनाया गया था।