क्या पीएम मोदी ने अयोध्या में सप्त मंदिर में पूजा-अर्चना की?

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क्या पीएम मोदी ने अयोध्या में सप्त मंदिर में पूजा-अर्चना की?

सारांश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अयोध्या दौरा राम मंदिर ध्वजारोहण समारोह के लिए ऐतिहासिक रहा। सप्त मंदिर में उनकी पूजा और समारोह का महत्व समर्पित है। जानिए इस कार्यक्रम की खास बातें!

Key Takeaways

  • प्रधानमंत्री मोदी का अयोध्या दौरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है।
  • सप्त मंदिर में पूजा ने भक्ति की भावना को प्रकट किया।
  • ध्वजारोहण का कार्यक्रम राम मंदिर निर्माण की औपचारिकता का प्रतीक है।
  • यह आयोजन सांस्कृतिक पुनर्जागरण का एक महत्वपूर्ण भाग है।
  • ध्वज का निर्माण विशेष रूप से सुरक्षा और स्थिरता के लिए किया गया है।

अयोध्या, २५ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मंगलवार को अयोध्या आगमन पर भव्य स्वागत हुआ। वे यहाँ रामजन्मभूमि मंदिर में आयोजित बहुप्रतीक्षित ध्वजारोहण समारोह में शामिल होने आए थे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साकेत कॉलेज के हेलीपैड पर उनका स्वागत किया। इसके उपरांत, प्रधानमंत्री मंदिर परिसर की ओर बढ़े, जहाँ उनका एक शानदार रोड शो आयोजित किया गया।

सड़क के दोनों किनारों पर बड़ी संख्या में लोग खड़े थे। तिरंगा, भारतीय जनता पार्टी के झंडे और भगवान राम के प्रतीक वाले झंडे लहरा रहे थे। पूरा शहर “जय श्री राम” और “मोदी- मोदी” के नारों से गूंज रहा था।

जब प्रधानमंत्री का काफिला साकेत कॉलेज से राम जन्मभूमि मंदिर की ओर बढ़ रहा था, तो लोगों ने उन पर फूल बरसाए। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम को लेकर लोगों की उत्सुकता स्पष्ट रूप से देखी जा रही थी।

अपने दौरे के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने विशाल राम मंदिर परिसर में स्थित सप्त मंदिर में भी पूजा की।

ये सात मंदिर महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, महर्षि वाल्मीकि, देवी अहिल्या, निषादराज गुह और माता शबरी को समर्पित हैं।

सप्त मंदिर भगवान राम के जीवन में महत्वपूर्ण रहे इन गुरुओं, भक्तों और सहयोगियों को दर्शाते हैं। इन्हें मंदिर परिसर में स्थान देकर उनके स्थायी महत्व और सम्मान को दर्शाया गया है।

इसके बाद, दोपहर लगभग १२:०० बजे प्रधानमंत्री ध्वजारोहण कार्यक्रम में भाग लेंगे, जो राम मंदिर निर्माण की औपचारिक पूर्णता का प्रतीक होगा। यह समारोह देशभर के भक्तों के लिए गहरी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है।

राम मंदिर के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया यह ध्वज २२ फीट लंबा और ११ फीट चौड़ा है। इसे गुजरात के अहमदाबाद के एक विशेषज्ञ द्वारा बनाया गया है। दो से तीन किलो वजन वाला यह ध्वज अधिक ऊँचाई और हवाओं में भी सुरक्षित रहने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

यह आयोजन अयोध्या में चल रहे सांस्कृतिक पुनर्जागरण का एक और महत्वपूर्ण चरण है। नेताओं ने कहा है कि यह ध्वज केवल धार्मिक आस्था का नहीं, बल्कि भारत की प्राचीन सभ्यता और समृद्ध सांस्कृतिक मूल्यों का भी प्रतीक है।

Point of View

बल्कि यह भारतीय संस्कृति और इतिहास के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण भी है। यह अयोध्या में चल रहे सांस्कृतिक पुनर्जागरण का हिस्सा है, जो देश की समृद्धता को दर्शाता है।
NationPress
25/11/2025

Frequently Asked Questions

राम मंदिर का ध्वजारोहण कब हुआ?
राम मंदिर का ध्वजारोहण २५ नवंबर को हुआ।
सप्त मंदिर में पूजा किसने की?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सप्त मंदिर में पूजा की।
ध्वज का आकार क्या है?
यह ध्वज २२ फीट लंबा और ११ फीट चौड़ा है।
इस समारोह का सांस्कृतिक महत्व क्या है?
यह समारोह भारत की प्राचीन सभ्यता और समृद्ध सांस्कृतिक मूल्यों का प्रतीक है।
इस कार्यक्रम में कौन-कौन शामिल हुए?
प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे महत्वपूर्ण नेताओं ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
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