क्या पीएम मोदी का यह ऐलान सीमावर्ती इलाकों में बदलती डेमोग्राफी पर बड़ा असर डालेगा?

सारांश
Key Takeaways
- बदलती डेमोग्राफी पर नज़र रखना आवश्यक है।
- घुसपैठियों का प्रभाव राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ता है।
- प्रधानमंत्री का हाई पावर डेमोग्राफी मिशन एक महत्वपूर्ण कदम है।
नई दिल्ली, 15 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीमावर्ती क्षेत्रों में बदलती डेमोग्राफी से निपटने का दृढ़ संकल्प व्यक्त किया है। लाल किले की प्राचीर से उन्होंने जो बातें साझा कीं, उनमें स्पष्ट संकेत और संदेश छिपा था। उन्होंने कहा कि हम अपने देश को घुसपैठियों के हाथों में नहीं दे सकते। उन्होंने यह भी ऐलान किया कि भारत इस गंभीर समस्या का सामना करने के लिए 'हाई पावर डेमोग्राफी मिशन' आरंभ कर रहा है। आखिर यह मिशन क्या है और प्रधानमंत्री ने इसका उल्लेख क्यों किया?
प्रधानमंत्री मोदी ने 'बदलती डेमोग्राफी' के मुद्दे पर देशवासियों को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि एक सुनियोजित साजिश के तहत देश की डेमोग्राफी को बदला जा रहा है। घुसपैठिए हमारे युवाओं की रोजी-रोटी छीनने, बहन-बेटियों को निशाना बनाने और आदिवासियों को भ्रमित करके उनकी ज़मीन पर कब्जा करने का कार्य कर रहे हैं।
अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में, प्रधानमंत्री ने कहा कि जब सीमावर्ती क्षेत्रों में डेमोग्राफी में परिवर्तन होता है, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बनता है। यह देश की एकता, अखंडता और प्रगति के लिए भी संकट उत्पन्न करता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि देश इन हरकतों को सहन नहीं करेगा और इसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि कोई भी देश अपने नागरिकों को घुसपैठियों के हवाले नहीं कर सकता। हमारे पूर्वजों ने त्याग और बलिदान से हमें स्वतंत्रता दिलाई है। हमें उनके प्रति यह कर्तव्य निभाना है कि हम अपने देश में ऐसी हरकतों को स्वीकार न करें। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, "हमने एक 'हाई पावर डेमोग्राफी मिशन' शुरू करने का निर्णय लिया है। इस मिशन के द्वारा जो भीषण संकट नजर आ रहा है, उसे समय पर निपटाया जाएगा।"
बिहार में एसआईआर प्रक्रिया के दौरान 'बाहरी मतदाताओं' के खुलासे के बाद प्रधानमंत्री का यह ऐलान महत्वपूर्ण बन गया है। भाजपा नेताओं ने कुछ रिपोर्ट्स के हवाले से कहा है कि बिहार की मतदाता सूची में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के नागरिकों के नाम शामिल हैं। इन लोगों के पास भारतीय दस्तावेज भी हैं।
8 अगस्त को बिहार के सीतामढ़ी में केंद्रीय गृह मंत्री ने भी इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया था। उन्होंने कहा, "जो भारत में नहीं जन्मा, उसे हमारे संविधान के तहत वोट देने का अधिकार नहीं है। घुसपैठियों को चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लेना चाहिए।" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विपक्ष एसआईआर का विरोध कर रहा है क्योंकि घुसपैठिए उनके वोट बैंक हैं।