क्या पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने श्री आनंदपुर साहिब में प्रार्थना की?

सारांश
Key Takeaways
- मुख्यमंत्री भगवंत मान का मत्था टेका और प्रार्थना करना महत्वपूर्ण है।
- ‘हेरिटेज स्ट्रीट’ परियोजना का उद्देश्य ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करना है।
- श्री आनंदपुर साहिब को व्हाइट सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा।
- यह परियोजना धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
- परियोजना के तहत ६ विशाल गेट बनाए जाएंगे।
रूपनगर, ५ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान रविवार को रूपनगर पहुंचे, जहां उन्होंने श्री आनंदपुर साहिब में मत्था टेका।
पंजाब के सीएम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर तस्वीरें साझा करते हुए लिखा कि खालसा की पवित्र भूमि तख्त श्री केसगढ़ साहिब, श्री आनंदपुर साहिब में नतमस्तक होने का अवसर मिला। उन्होंने गुरु चरणों में मत्था टेका और पंजाब एवं सिख संगत के कल्याण की प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि गुरु साहिब सभी पर अपनी अपार कृपा बनाए रखें।
इससे पहले, भगवंत मान ने एक अन्य पोस्ट में कहा कि खालसा की जन्मभूमि श्री आनंदपुर साहिब के ऐतिहासिक स्वरूप को और निखारने के लिए ‘हेरिटेज स्ट्रीट’ का नींव पत्थर रखा। उन्होंने इसे अपने लिए एक भाग्यशाली सेवा बताया।
इस परियोजना के तहत श्री आनंदपुर साहिब में सफेद संगमरमर का प्रयोग होगा और प्राचीन विरासत से जुड़े ६ द्वार बनाए जाएंगे। गुरु साहिब की बाणी में जिन पेड़ों का उल्लेख है, वे पेड़ यहां लगाए जाएंगे। शहर के मुख्य बाजारों और गुरु घरों तक जाने वाले रास्तों का भी सौंदर्यीकरण किया जाएगा।
गौरतलब है कि पंजाब की ऐतिहासिक और धार्मिक भूमि श्री आनंदपुर साहिब में एक नया अध्याय जुड़ गया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने यहां ५० साल बाद 'हेरिटेज स्ट्रीट' परियोजना की नींव रखकर इस पवित्र नगरी के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह वही आनंदपुर साहिब है, जहां खालसा पंथ की स्थापना हुई थी। इस परियोजना के माध्यम से इसे धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन दृष्टि से वैश्विक पहचान दिलाने की योजना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आनंदपुर साहिब को 'व्हाइट सिटी' के रूप में विकसित किया जाएगा। पूरे शहर में सफेद संगमरमर का प्रयोग होगा ताकि यह शांति, श्रद्धा और पवित्रता का प्रतीक बन सके। परियोजना के तहत छह विशाल गेट बनाए जाएंगे, जो पंजाब की सांस्कृतिक विरासत, सिख इतिहास और श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की गुरबाणी से प्रेरित होंगे। हर गेट का नाम और डिज़ाइन सिख इतिहास से जुड़ा होगा, जिससे आने वाली पीढ़ियों को अपनी विरासत से जुड़ने का अवसर मिलेगा।