क्या शिबू सोरेन की अंतिम विदाई से झारखंड में नेताओं की कमी महसूस होगी?

सारांश
Key Takeaways
- शिबू सोरेन का योगदान झारखंड की राजनीति में अमूल्य था।
- उनका व्यक्तित्व और नेतृत्व हमेशा याद किया जाएगा।
- गुरु जी की कमी एक बड़ी क्षति है।
- उनके आदर्शों का अनुसरण कर हम आगे बढ़ सकते हैं।
- शिबू सोरेन ने आदिवासी समुदाय के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए।
रांची, 5 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के विधायक एवं विधानसभा स्पीकर रबींद्रनाथ महतो ने बताया कि शिबू सोरेन को मंगलवार को पूरा झारखंड नम आंखों से विदाई देगा। किसी व्यक्ति के जीवन की यात्रा और उसकी छवि, लोगों के दिलों में उसके प्रति भावनाएं, अंतिम यात्रा के दौरान स्पष्ट रूप से सामने आती हैं। आज झारखंड के लोग इस दुख में हैं कि गुरु जी हमारे बीच नहीं रहे।
महतो ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि गुरु जी के निधन से न केवल झारखंड बल्कि सम्पूर्ण विश्व में दुःख का माहौल है। वे हमारे अभिभावक थे और उन्होंने अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल किया। आज उनके अनुयायी गहरे शोक में हैं और बड़ी संख्या में लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए आ रहे हैं। गुरु जी का व्यक्तित्व अद्वितीय था।
महतो ने कहा कि गुरु जी को महामानव कहना अधिक उपयुक्त होगा। उन्होंने जीवन भर झारखंड के लोगों की सेवा की और उनकी भूमिका को कभी भी कम करके नहीं आंका जा सकता है। यह सच है कि हर व्यक्ति को एक दिन इस संसार को छोड़ना पड़ता है, लेकिन गुरु जी का हमारे बीच न होना एक अपूरणीय क्षति है।
उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन ने मुख्यमंत्री रहते हुए झारखंड के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए, जो आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने हमारे लिए एक ऐसा आदर्श छोड़ा है जिसे भुलाया नहीं जा सकता।
भाजपा नेता लोबिन हेम्ब्रोम ने शिबू सोरेन की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज अगर मैं राजनीति में कुछ हासिल कर पाया हूँ, तो इसका श्रेय गुरु जी को जाता है। उन्होंने हमें राजनीति की बुनियादी बातें सिखाई। हम उनके साथ कई आंदोलनों में शामिल रहे हैं। उन्होंने आदिवासियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। झारखंड की जनता उन्हें कभी नहीं भूल सकती। वे मेरे राजनीतिक गुरु रहे हैं।