क्या शिवसेना को आरएसएस जैसे राष्ट्रवादी संगठन पर सवाल उठाने का अधिकार है? प्रतुल शाहदेव

सारांश
Key Takeaways
- आरएसएस का शताब्दी समारोह एक ऐतिहासिक अवसर है।
- राजनीतिक तनाव का मुख्य कारण शिवसेना का आरएसएस पर सवाल उठाना है।
- प्रतुल शाहदेव ने शिवसेना की राजनीतिक प्रासंगिकता पर प्रश्न उठाए।
रांची, 4 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपने 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में देशभर में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया है। इस ऐतिहासिक अवसर पर जहां संघ के कार्यकर्ता उत्साहपूर्वक राष्ट्रवादी गतिविधियों में शामिल हैं, वहीं शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के मुखपत्र ने इस पर सवाल उठाए हैं। इसके चलते झारखंड भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है, जिससे राजनीतिक तनाव उत्पन्न हो गया है.
झारखंड भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने शिवसेना (उद्धव) पर कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि शिवसेना को आरएसएस जैसे राष्ट्रवादी संगठन की उपलब्धियों पर सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं है।
शाहदेव ने कहा, "शिवसेना (उद्धव) को हमें सर्टिफिकेट देने की आवश्यकता नहीं है। कभी शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे को 'हिंदुत्व का टाइगर' कहा जाता था, उनकी तस्वीर में पृष्ठभूमि में शेर की छवि होती थी। लेकिन आज उनके बेटे उद्धव ठाकरे ने उस हिंदुत्व की विचारधारा को तिलांजलि दे दी। टाइगर का बेटा मेमना नहीं, बल्कि लोमड़ी बन गया, जो मौका देखकर पाला बदल लेती है।"
शाहदेव ने उद्धव ठाकरे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री बनने की लालसा में उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया, जो बालासाहेब की हिंदुत्व की सोच के विपरीत है।
उन्होंने कहा, "उद्धव ठाकरे न घर के रहे, न घाट के। उनकी पार्टी अब पूरी तरह अप्रासंगिक हो चुकी है।"
शाहदेव ने आगे कहा कि आरएसएस ने हमेशा देश के लिए सकारात्मक योगदान दिया है। चाहे प्राकृतिक आपदा हो, कोरोना महामारी हो, या भारत-पाकिस्तान और भारत-चीन युद्ध जैसे संकट, आरएसएस के स्वयंसेवकों ने हर बार सरकार और समाज का साथ दिया।
उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति से लेकर आम नागरिक तक, सभी ने आरएसएस के सेवा कार्यों की सराहना की है। संघ के शताब्दी समारोह के तहत देशभर में रक्तदान शिविर, सामाजिक सेवा कार्यक्रम, और राष्ट्रवादी विचारधारा को बढ़ावा देने वाले आयोजन हो रहे हैं। इन कार्यक्रमों में युवाओं को जोड़ने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।