क्या सुप्रीम कोर्ट निमिषा प्रिया मामले में हस्तक्षेप करेगा?

सारांश
Key Takeaways
- निमिषा प्रिया के मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई महत्वपूर्ण है।
- भारत सरकार को यमन में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया गया है।
- मामला मानवाधिकार और कानूनी पहलुओं से जुड़ा है।
नई दिल्ली/तिरुवनंतपुरम, 14 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। केरल की निमिषा प्रिया के मामले में सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगा। निमिषा प्रिया को एक हत्या से जुड़े मामले में यमन में मौत की सजा सुनाई गई थी। भारतीय सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें मांग की गई है कि भारत इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करे। सुनवाई न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ द्वारा की जाएगी।
निमिषा प्रिया को यमन की अदालत ने 2017 में एक नागरिक की हत्या के मामले में फांसी की सजा दी थी। 16 जुलाई 2025 को उन्हें फांसी दी जानी थी, लेकिन उनकी फांसी की सजा को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया गया है। इसके बाद, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और सामाजिक संगठनों ने सरकार से आग्रह किया कि वे इस मामले में राजनयिक और कानूनी प्रयासों के माध्यम से निमिषा की रिहाई सुनिश्चित करें या उनकी सजा को कम करें।
निमिषा प्रिया की रिहाई के लिए 'सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल' ने केंद्र सरकार से एक प्रतिनिधिमंडल को यमन भेजने की अनुमति मांगी थी, ताकि यमन के कानून के अनुसार पीड़ित परिवार से क्षमादान मिल सके।
हालांकि, विदेश मंत्रालय ने पहले यमन में गंभीर सुरक्षा जोखिमों का हवाला देते हुए काउंसिल के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था। मंत्रालय ने काउंसिल को सूचित किया कि युद्धग्रस्त देश की यात्रा की अनुमति नहीं दी जा सकती है, क्योंकि यमन में सशस्त्र संघर्ष और राजनीतिक अस्थिरता के कारण वहां किसी को भेजना अत्यधिक खतरनाक है।
सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को मामले की वर्तमान कानूनी और राजनयिक स्थिति से अवगत कराए जाने की उम्मीद है। अदालत याचिकाकर्ता की इस दलील पर भी विचार करेगी कि यमन में प्रत्यक्ष सहयोग के बिना निमिषा प्रिया की रिहाई लगभग असंभव होगी।
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि केंद्र को निर्देश दिया जाए कि वह हर संभव राजनयिक प्रयास करे और प्रतिनिधियों को अधिकृत रूप से बातचीत के लिए भेजने की अनुमति दे।